Friday, 30th May 2025

खुशखबरी / मंदसौर के पल्लव ने बनाया फैक न्यूज ट्रैक करने वाला सॉफ्टवेयर, इंग्लैंड से होगा लांच

Mon, Sep 24, 2018 4:21 PM

  • इंटरनेट और सोशल मीडिया पर आई अफवाहों की बाढ़ रोकने में बनेगा मददगार
  • इंग्लैड की क्रेनफील्ड यूनिवर्सिटी में स्टार्टअप वीकएंड और इन्वेस्टर-डे के दौरान हो चुका प्रदर्शन, यूनिवर्सिटी ही कर रही फंडिंग
 

सप्रिय गौतम, मंदसौर.  इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली खबरों की प्रामाणिकता परखने और फैक न्यूज ट्रैक करने के लिए मंदसौर निवासी दो भाइयों ने सॉफ्टवेयर बनाया है। ‘सिटी स्पोर्टर’ नामक इस सॉफ्टवेयर का प्रदर्शन क्रेनफील्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैड में हो भी चुका है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा फंडिंग भी की जा रही है। फिलहाल यह सॉफ्टवेयर आमजन के लिए ओपन नहीं किया गया है।
 

सकारात्मकता व नकारात्मकता के आधार पर परखेगा सही व फैक न्यूज

  1.  

    फैक न्यूज ट्रैक करने वाला सॉफ्टवेयर मंदसौर की जनता कॉलोनी निवासी दुष्यंत और उनके छोटे भाई पल्लव सेठिया ने बनाया है। पल्लव इंग्लैंड की क्रेन फील्ड यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट एंड इंटरप्रेन्योरशिप सब्जेक्ट के साथ एमएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। 

     

  2.  

    पल्लव ने यह प्रोजेक्ट भी यूनिवर्सिटी में ही आयोजित स्टार्टअप वीकएंड के लिए फरवरी में तैयार किया था। इसके बाद इसे इसी माह हुए इन्वेस्टर-डे में भी प्रस्तुत किया गया। इससे प्रभावित होकर क्रेन फील्ड यूनिवर्सिटी ने इसके लिए आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है। यूनिवर्सिटी की ओर से 15 हजार पौंड तक मिलना संभावित हैं।

     

  3.  

    लीड्स यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस में एमएससी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंटरप्रेन्योरशिप की डिग्री प्राप्त पल्लव के भाई दुष्यंत के अनुसार प्रोजेक्ट पर वे तीन वर्ष से काम कर रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया सॉफ्टवेयर इमोटिव एनालिसिस कर सकेगा। इसमें न्यूज का झुकाव पता चलने के साथ ही सकारात्मकता व नकारात्मकता के आधार पर प्रमाणीकरण हो सकेगा।

     

  4.  

    मौजूदा दौर में इंटरनेट पर आने वाली खबरों और अफवाहों का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर सीधे होता है। अफवाहों से लोगों को नुकसान होने से स्टॉक और शेयर मार्केट में लाखों-करोड़ाें का नुकसान होता है। भारत में यह आम समस्या है। अफवाहों के चलते दंगे-फसाद की स्थिति बनती है और राजनीतिक समीकरण तक बदल जाते हैं। सॉफ्टवेयर इन पर लगाम कसने में मददगार होगा।

     

  5.  

    प्रोजेक्ट में आगे चलकर इंटरनेट पर वायरल होने वाली अफवाहों व फैक न्यूज रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के माध्यम से अल्गोरिथम का उपयोग किया जाएगा। इससे न्यूज का माध्यम और गुणवत्ता के तथ्यों की जांच की जा सकेगी। 

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