रायपुर। नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल के पिता स्व. लखीराम अग्रवाल के नाम से रायगढ़ में संचालित मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में विभिन्ना पदों में भर्ती का झांसा देकर ग्यारह बेरोजगारों से 33 लाख 30 हजार रुपये ठगने का मामला सामने आया है।
ठगी के शिकार बेरोजगारों की शिकायत पर सिटी कोतवाली पुलिस ने रविवार को मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत साहू के खिलाफ चार सौ बीसी का केस दर्ज किया। कुछ महीने पहले भी शशिकांत साहू के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था।
सिटी कोतवाली थाना प्रभारी शिवानंद तिवारी ने बताया कि धमतरी जिले के भखारा थाना क्षेत्र के ग्राम सेमरा, चांदपारा निवासी जगदीश साहू (43) समेत 11 बेरोजगारों को लखीराम अग्रवाल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के प्रशासनिक अधिकारी ग्राम भलेरा, आरंग निवासी शशिकांत साहू (35) ने ठगी की।
उसने 16 नवम्बर 2016 को कम्प्यूटर ऑपरेटर, प्रोग्रामर, क्लर्क, चपरासी, आया के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर प्रत्येक से एक लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक लिया। सभी को आरोपी ने फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया था। मामले का भंडाफोड़ होने के बाद शशिकांत साहू को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया।
ज्वाइनिंग लेटर लेकर पहुंचे तब फूटा फर्जीवाड़े का खेल
जगदीश साहू ने पुलिस को बताया कि परिचित भोमेश्वर सिन्हा के माध्यम से शशिकांत से परिचय हुआ था। भोमेश्वर ने ही बताया था कि शशिकांत मेडिकल कालेज में अधिकारी है। वह विभिन्ना पदों के लिए डीन के साथ भर्ती कर रहा है। इसके बाद शशिकांत से जगदीश और उसके रिश्तेदार मिले।
पैसा देने के बाद उसने सभी को ज्वाइनिंग लेटर थमाकर 18 जून 2018 को ज्वाइन करने रायगढ़ बुलाया। जब पीड़ित कालेज पहुंचे और ज्वाइनिंग लेटर दिखाया तो पता चला कि यह फर्जी है। शशिकांत के बारे में पूछने पर बताया गया कि उसे फर्जीवाड़ा केस में नौकरी से निकाल दिया गया है। उसने नौकरी लगाने के नाम पर धमतरी, महासमुंद, रायगढ़, रायपुर समेत कई अन्य शहरों के बेरोजगारों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।
नगर निगम गार्डन में लिए पैसे
आरोपी शशिकांत साहू ने सभी पीड़ित बेरोजगारों से पैसे का सारा लेनदेन रायपुर नगर निगम गार्डन में किया। कुछ बेरोजगारों ने चेक, आरटीजीएस एवं फर्म अर्थ टेली कम्युनिकेशन के माध्यम से शशिकांत साहू को रकम का भुगतान किया। वह कार से आता था और पैसे लेकर चला जाता था।
यही नहीं, बेरोजगारों को विश्वास दिलाने के लिए वह कई बार रायगढ़ भी लेकर गया था और दफ्तर में बैठाकर बातचीत कर पेपर भी दिलवाया। इससे बेरोजगार आसानी से उसके झांसे में आ गए।
उसने मनीष साहू से ढाई लाख, कुमारी शशि प्रभा गंगवेल से ढाई लाख, विजय कुमार साहू से तीन लाख, लेमन कुमार साहू से तीन लाख, डिकेश कुमार साहू से तीन लाख, नागेश कुमार साहू से तीन लाख, कुमारी हेम कुमारी साहू से तीन लाख, अरुण कुमार चक्रधारी से डेढ़ लाख, तेजराम चक्रधारी से एक लाख, ओम प्रकाश सिन्हा से आठ लाख (सहायक प्रोग्रामर के लिए), कोमेशवरी साहू पति जागेश्वर साहू से दो लाख अस्सी हजार रुपये ठगे हैं।
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