Friday, 30th May 2025

राफेल / साझेदारी के लिए भारत सरकार ने आगे किया था रिलायंस का नाम: फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति

Sat, Sep 22, 2018 3:27 AM

  • फ्रांसुआ ओलांद ने एक फ्रेंच मैगजीन को दिए इंटरव्यू में यह बयान दिया
  • भारत का कहना है कि इस डील में दोनों सरकारों का कोई रोल नहीं

नई दिल्ली. राफेल विवाद पर अब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने बयान दिया। ओलांद ने कहा है कि राफेल के निर्माण में साझेदारी के लिए भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस का नाम सामने रखा था। फ्रेंच मैगजीन मीडियापार्ट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- फ्रांस के सामने इस नाम का चुनाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के प्रस्ताव के बाद डसॉल्ट ने अंबानी के साथ डील को लेकर बात की। 

रक्षा मंत्रालय ने किया ट्वीट

  1.  

    ओलांद का बयान उस दावे के बिल्कुल उलट है, जिसमें भारत सरकार ने डसॉल्ट और रिलायंस के बीच समझौते को दो निजी कंपनियों की डील बताते हुए किसी भी तरह के किरदार से इनकार किया था।

     

  2.  

    कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस खुलासे पर कहा- “प्रधानमंत्री ने राफेल समझौता खुद बंद दरवाजों के अंदर बातचीत कर बदल दिया। ओलांद की वजह से हमें पता चला कि प्रधानमंत्री ने खुद अरबों की डील दिवालिया अनिल अंबानी को दी। प्रधानमंत्री ने देश के साथ धोखा किया है। उन्होंने हमारे बहादुर सैनिकों का अपमान किया।”

     

  3.  

    फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के मैगजीन में छपे इंटरव्यू पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट किया, “ओलांद का यह बयान कि भारत सरकार ने डसॉल्ट के साथ साझेदारी के लिए एक खास कंपनी का नाम दिया, इसकी जांच की जा रही है। पहले ही कहा जा चुका है कि इस कमर्शियल फैसले में न तो फ्रांस और न ही भारत सरकार का कोई किरदार था।” 

     

  4.  

    ओलांद का इंटरव्यू सामने आने के बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे री-ट्वीट किया। तिवारी ने पूछा “राष्ट्रपति ओलांद को यह भी जानकारी देनी चाहिए कि कैसे राफेल फाइटर जेट की कीमत 2012 में 590 करोड़ से 2016 में 1690 करोड़ तक कैसे पहुंच गई? यानी सीधे 1100 करोड़ की बढ़ोतरी।”

     

  5. राफेल विवाद में घिरा रिलायंस

     

    फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में है। विपक्ष का आरोप है कि इस सौदे के लिए सरकार ने अनुभवी हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) की जगह बिना किसी अनुभव वाली रिलायंस डिफेंस को चुना। 

     

  6. सरकार का दावा- यूपीए की नीतियों से एचएएल समझौते से बाहर

     

    सरकार ने एचएएल के समझौते से बाहर होने की वजह यूपीए सरकार की नीतियों को बताया। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि डसॉल्ट ने खुद तकनीक के लीक होने की आशंका के चलते एचएएल के साथ समझौते से इनकार कर दिया था।

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