आईये हम मिलकर... झूकने न देंगे तिरंगे को, कवि सम्मेलन में अशोक व अरूण ने श्रोताओं को झुमाया
वासंती वैष्णव व सुनील वैष्णव के समूह ने कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी
रायगढ़. कला, संस्कृति एवं साहित्य की नगरी रायगढ़ में 34 वें चक्रधर समारोह के सातवीं संगीत संध्या कवि सम्मेलन के नाम रही। इसमें देश के नामचीन कवियों ने हास्य, वीर, सिंगार, व्यंग्य आदि रसों को समेटे अपने कविता पाठ से कला रसिकों को खूब हसाया और गुदगुदाया। साथ ही उनके द्वारा अपनी कविता से राष्ट्रीय एकता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया।
संध्याकालीन कार्यक्रम का शुभारंभ खरसिया विधायक उमेश पटेल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। समारोह में प्रथम प्रस्तुति रायगढ़ की नंदिनी गोयल ने ओडि़सी कथक नृत्य की प्रस्तुति शिवम-शिवम से की। दूसरी प्रस्तुति इंदौर की आयुषी दीक्षित ने कथक में कृष्ण वंदना, 15 मात्रा, ताल, शुद्ध नृत्य के माध्यम से दर्शकों ने खूब तालियां बटोरी। तीसरी प्रस्तुति बिलासपुर के कला विकास केन्द्र के बासंती वैष्णव एवं सुनील वैष्णव के समूह के द्वारा कथक में ओम नमो शिवाय.. गले में लिपटाए...की शानदार प्रस्तुति दी गई। जिसको श्रोताओं ने भरपूर उत्साहवर्धन किया। चौथे प्रस्तुति बिलासपुर के भूपेन्द्र बरेठ के समूह द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। समारोह के अंतिम कड़ी में कवियों ने कविता पाठ प्रारंभ किया। अध्यक्षता दिल्ली के पद्मश्री कवि अशोक चक्रधर के द्वारा किया गया एवं मंच संचालन हरियाणा के कवि अरूण जैमिनी ने की। कविता पाठ का आरंभ छत्तीसगढ़ के हास्य कवि बंशीधर मिश्रा ने अपने ठेठ छत्तीसगढ़ी अंदाज में हास्य व्यंग्य से लोगों को खूब हंसाया और तालियां बटोरी। दूसरी कविता हासिम फिरोजाबादी ने अपनी कविता में वीर रस का समावेश करके लोगों को देशभक्ति के प्रति आकर्षित किया। अपने हिन्दूस्तान को खुदा की कसम फिर से सोने की चिडिय़ा बनाएंगे, आईये हम मिलकर झूकने न देंगे तिरंगे को। तीसरी कविता में कवियत्री कविता तिवारी ने अपनी कविता के माध्यम से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया।
चौथे क्रम में कवियत्री मुमताज नसीम ने श्रृंगार रस से कविता पाठ करके श्रोताओं को अपनी ओर ध्यान आकृष्ट कराया। घर से निकली थी तो मैने सोचा ना था... इतनी मुश्किल में मुलाकात हो जाएगी और अंत में सुंदर गीत के माध्यम से कविता पाठ का समापन किया।
अशोक की कविता ने खुब लुभाया
पांचवी कड़ी में अरूण जैमिनी हास्य कवि से दर्शको को खूब गुदगुदाया और मंच संचालन के माध्यम से बीच-बीच में श्रोताओं को अपनी कविताओं से हंसाते रहे। छठवीं कड़ी नवाज देशबंधी ने अपनी शेरो-शायरी कविता से दर्शकों को समारोह में समां बांधा। कविता पाठ के अंतिम कड़ी में पद्मश्री से अशोक चक्रधर ने हिन्दी कविता से दर्शकों को खूब लुभाया और तालियां बटोरी।
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