रायपुर. 90 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश के तीनों ही चुनाव में भाजपा 10 से 13 सीटें ज्यादा जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही। रोचक पहलू ये है कि 20% से ज्यादा सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर 2% से भी कम था। यानी कुछ ही वोट इधर से उधर हो जाते तो कांग्रेस भी सरकार बना सकती थी। दूसरी अहम बात ये भी कि अगर कांग्रेस और बसपा साथ आ जाती तो शायद ही भाजपा सरकार बना पाती।
बसपा भी दो बार कड़े मुकाबले में दिखी। उसने 2003 और 2013 में एक-एक सीट 2% से भी कम अंतर से जीती। दूसरी ओर 15% से ज्यादा अंतर वाली सीटें भाजपा ने कांग्रेस से लगभग दोगुनी जीतीं। 2003 के चुनाव में भाजपा ने ऐसी 17 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 8 जीत पाई। 2008 में भी भाजपा ऐसी 10 सीटें जीतने में कामयाब हुई। कांग्रेस 6 पर अटक गई।
लुंड्रा, पत्थलगांव, रामपुर, सिपत, मालखरोदा, अभनपुर, बलौदाबाजार और मोहला-मानपुर में 1% से कम अंतर था।
कोटा, अकलतरा, चौकी, भाटापारा, महासमुंद, भानुप्रतापपुर और खुज्जी में अंतर 2% के करीब था। कांग्रेस ने 4 जीतीं।
9 सीटों पर 20% से ज्यादा अंतर था। 6 भाजपा ने जीती। सबसे ज्यादा 49% के अंतर से कांग्रेस ने मरवाही सीट जीती।
अंतगढ़, कोंटा, कोरबा, दुर्ग सिटी, अंबिकापुर में 1% से कम अंतर, जबकि 8 पर 20% से ज्यादा।
1-2% का अंतर अारंग, प्रतापपुर, सीतापुर, जांजगीर-चांपा, रायपुर नॉर्थ आदि सीटों पर रहा।
इस चुनाव में भी मरवाही सीट पर सबसे ज्यादा 35% का अंतर था। यहां फिर कांग्रेस जीती।
0 से 1% के अंतर वाली सीटें तखतपुर और मोहला-मानपुर रहीं। 1 कांग्रेस, 1 भाजपा ने जीती।
31 सीटों पर अंतर 5% से कम रहा। इनमें 20 भाजपा, 9 कांग्रेस और 1 बसपा के खाते में गई।
9 सीटों पर अंतर 20% से ज्यादा रहा। इनमें से 9 भाजपा ने जीती और 2 कांग्रेस के खाते में गईं।
Comment Now