Friday, 30th May 2025

लोकसभा अध्यक्ष महाजन बोलीं- मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कंपलसरी वोटिंग कानून जरूरी

Wed, Sep 19, 2018 7:22 PM

  • कहा- राजनेता का बेटा राजनेता बने, काेई बुराई नहीं
  • टिकट उसकी काबिलियत के आधार पर ही मिलना चाहिए
 

भोपाल. लाेकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए कंपलसरी वोटिंग कानून बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नेता पुत्र और पुत्री अगर काबिल है और वह जिताऊ उम्मीदवार है तो पार्टियों को उसे टिकट देना चाहिए। चुनाव समिति भी उम्मीदवार का सिलेक्शन उसकी क्षमताओं के आधार पर करे, न कि नेता पुत्र-पुत्री के लिहाज से। उनसे वन नेशन-वन इलेक्शन, एट्रोसिटी एक्ट और राजनीति में परिवारवाद के बढ़ावे को लेकर सवाल पूछे गए।्र

 

क्या वर्तमान परिस्थितियों में देश में सभी राज्यों की विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होना संभव है?

  1. एक साथ चुनाव से क्या फायदा होगा। क्या इससे चुनाव खर्च घटेगा?

     

    जवाब- इससे चुनाव खर्च घटेगा, लेकिन यह तभी संभव है, जब चुनाव को लेकर लोग जागरूक हों। चुनाव आयोग को भी प्रचार-प्रसार के लिए एप्रोच बदलनी होगी।

     

  2. चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़े, लोग जागरूक हों। इसके लिए चुनाव आयोग को क्या करना चाहिए?

     

    जवाब- चुनाव आयोग ने अभी एनआरआई नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाने के लिए कंपलसरी वोटिंग का कानून लाना चाहिए। इससे चुनाव खर्च न सिर्फ घटेगा, बल्कि जागरुकता बढ़ने से बदलाव दिखने लगेंगे।

     

  3. लोकसभा की तुलना में राज्य विधानसभाओं में सत्रों की संख्या घटी है। यह स्थिति कैसे सुधरेगी?

     

    जवाब- यह सही है कि राज्य विधानसभाओं में सत्रों की संख्या लगातार घट रही है। इंडियन पार्लियामेंट्री यूनियन की बैठक में भी इस मसले पर चर्चा हुई है। राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की जा रही है। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हर साल लोकसभा की 100 और राज्य विधानसभा की 60 बैठकें अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

     

  4. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से उलट केंद्र सरकार ने एट्रोसिटी एक्ट में संशाेधन किया है। इससे जनता नाराज है?

     

    जवाब- एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव संसद में सभी सांसदों की सहमति से हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से संशोधन करने कोे कहा था, वह संभव नहीं था। इस बदलाव के लिए सभी को सामाजिक स्तर पर सोचना पड़ेगा। इसके बिना काेई बदलाव संभव नहीं है। सवर्णों के साथ अन्याय हो, यह भी मान्य नहीं है।

     

  5. क्या आप अगला लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी?

     

    जवाब- यह तो पार्टी को तय करना है। अभी तो राज्य विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं।

     

  6. आपका बेटा भी राजनीति में है। क्या विधानसभा चुनाव में वह टिकट की दावेदारी करेंगे?

     

    जवाब- मैं न तो बेटों को बढ़ा रही हूं और न ही उन्हें पीछे खीचूंगी। राजनेता का बेटा राजनेता बने, इसमें बुराई क्या है। बल्कि चर्चा उनकी योग्यता पर होना चाहिए।

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