नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शेयर बायबैक से संबंधित नियमों में संशोधन किया है। इसका मकसद शेयर बायबैक के लिए सार्वजनिक रूप से कोई घोषणा करने की जरूरत को लेकर ज्यादा स्पष्टता लाना और भगोड़े आर्थिक अपराधियों को इसमें हिस्सा लेने से दूर रखना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक अलग बयान में कहा कि क्रेडिट रेटिंग संस्थाएं पब्लिक या राइट्स इश्यू के जरिए ऑफर की गई सिक्योरिटीज (प्रतिभूतियों) की रेटिंग के अलावा और किसी भी तरह की गतिविधि में शामिल नहीं होंगी। सेबी के मुताबिक रेटिंग एजेंसियां यदि फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स की रेटिंग और आर्थिक या वित्तीय अनुसंधान के अलावा और कोई भी काम करती हैं तो उन्हें इसके लिए दो वर्षों के भीतर एक अलग कंपनी बनानी होगी।
नए नियमों के तहत सेबी ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों को किसी कंपनी में शेयर खरीदने या ओपन ऑफर में बोली लगाने से प्रतिबंधित कर दिया है। पूंजी बाजार नियामक ने 11 सितंबर को जारी अधिसूचना में कहा कि कोई भी भगोड़ा आर्थिक अपराधी किसी भी कंपनी के ओपन ऑफर के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बोली नहीं लगा सकता है।
नियम स्पष्ट बनाए
सेबी ने भाषा के सरलीकरण, अस्पष्टता खत्म करने और अप्रैल, 2014 में अस्तित्व में आए नए कंपनी कानून के हिसाब से नए रेफरेंस जोड़ने के लिए शेयर बायबैक के नियमों में संशोधन किया है। अधिसूचना में कहा गया कि संशोधित दिशानिर्देशों में बायबैक अवधि और सार्वजनिक घोषणा करने से संबंधित नियमों में स्पष्टता को उचित तरीके से बताया गया है।
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