Saturday, 24th May 2025

समर्पण का यह भी हाल, कभी देते थे मौत, आज जिंदगी के लिए मांग रहे सुरक्षा

Thu, Sep 13, 2018 8:46 PM

जगदलपुर (हेमंत कश्यप)। 9 मार्च 2016 को विस्फोटकों के साथ तोंगपाल थाने में समर्पण करने वाले मेटापाल के 35 नक्सली आज अपनी सुरक्षा के लिए हथियार लेकर सोने को मजबूर हैं। वजह, तीन साल बाद भी पुलिस उन्हें समर्पित घोषित नहीं कर पाई है। मुख्यधारा में लौटे ये नक्सली अब संगठन के दुश्मन बने हुए हैं। आए दिन धमकियां मिलती हैं। संगठन में लौटने का मतलब मौत और न लौटने पर भी हर वक्त जान का खतरा बना रहता है। वे कहते हैं कि सुरक्षा नहीं मिली तो कभी भी उनके साथ बड़ी वारदात हो सकती है। बस्तर आइजी-डीआइजी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि मामला उनके कार्यकाल का नहीं है।

जिला मुख्यालय से करीब 65 किमी दूर सुकमा जिले के तोंगपाल थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कोडरीपाल पंचायत के

आश्रित ग्राम मेटापाल के 35 नक्सलियों ने विस्फोटकों के साथ तत्कालीन पुलिस अधिकारी आदित्य केशव के सामने

यह सोचकर समर्पण किया था कि अब अपने गांव, परिवार, समाज के लिए काम करेंगे। सरकार की समर्पण नीति

का लाभ उठाकर जिंदगी की नई शुरुआत करेंगे। लेकिन आज उनकी स्थिति 'घर के रहे न घाट के" जैसी हो गई है। संगठन में लौटना चाहते नहीं और सरकार की समर्पण नीति का लाभ मिल नहीं रहा। जिंदगी खतरे में बनी हुई है। न अकेले सो सकते हैं, न ही बाहर जा सकते हैं।

सुरक्षा को लेकर हथियार साथ रखना पड़ता है। समर्पित हड़माराम, लखमा कोर्राम, हांदा मरकामी, सुकड़ा, नीलू,

बुदरा, लख्खू, हिंगा, गण्डू, गुड्डी, देवा, हांदा मंडावी और कोसा ने बताया कि वे बादल, बादल, जोगा, सोनाधर, विनोद, संजू आदि नक्सलियों के लिए काम करते थे।

संगठन में जाना बंद किया तो छीन ली रायफल

समर्पित नक्सलियों में आयता कोर्राम मलांगीर कमेटी का सहायक कमांडर व डीवीसी मेंबर, मुक्काराम डिप्टी कमांडर व मेंडी कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान कमेटी की सदस्य थी। आयता ने बताया कि समर्पण के पहले वह संगठन में जाना बंद कर दिया था। इसलिए उसकी ड्रेस और रायफल छीन लिए थे।

कोई बैटरी ढोता था तो कोई करता था अनुवाद

मुक्काराम ने बताया कि वह नक्सलियों द्वारा किए जा रहे विस्फोट के समय बैटरी ढोता था। मेंडी ने बताया कि उसका काम नक्सलियों की बातों का अनुवाद कर ग्रामीणों को बताना था। आसपास के करीब 35 गांवों से दो रुपया प्रति गांव के हिसाब से एकत्र कर नक्सली लीडर सोनाधर को देती थी।

मेरे कार्यकाल का नहीं

मेटापाल की कथित घटना उनके कार्यकाल का नहीं है, इसलिए वे इस प्रकरण के संबंध में कुछ नहीं कह सकते - रतनलाल डांगी, डीआईजी दक्षिण बस्तर

प्रकरण की जांच होगी

जिस प्रकरण की बात कही जा रही है, वह उनके कार्यकाल का नहीं है। देखना पड़ेगा कि कथित ग्रामीण नक्सली हैं या नहीं। पूरे प्रकरण की जांच करनी होगी - विवेकानंद सिन्हा, आईजी बस्तर

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