भारत और चीन के बीच 4 हजार किमी लंबी सीमा
- एलएसी को चीन आधिकारिक मान्यता नहीं देता
नई दिल्ली. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अगस्त में तीन बार भारतीय सीमा में घुसपैठ की। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीनी सैनिक उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोती से भारतीय सीमा में दाखिल हुए और चार किलोमीटर अंदर तक घुस गए। बाराहोती भारत-चीन सीमा की उन तीन चौकियों में से एक है, जहां आईटीबीपी के जवान बिना हथियार के पैट्रोलिंग करते हैं।
दरअसल, 1958 में भारत और चीन ने बाराहोती के 80 वर्ग किलोमीटर के इलाके को विवादित क्षेत्र घोषित करते हुए यह निर्णय लिया था कि यहां कोई भी अपने जवान नहीं भेजेगा। 2000 में यह फैसला लिया गया कि तीन पोस्टों पर आईटीपीबी हथियारों के बिना रहेगी। उसके जवान भी वर्दी की बजाय सिविलियन कपड़ों में रहेंगे। उत्तराखंड में बाराहोती के अलावा ऐसी दो और पोस्ट हिमाचल प्रदेश के शिपकी और उत्तर प्रदेश के कौरिल में है।
डेमचोक में भी हुई थी घुसपैठ : अगस्त की शुरुआत में चीनी सैनिकों का एक दल लद्दाख के डेमचोक से भारतीय सीमा में करीब 400 मीटर अंदर चेरदॉन्ग-नेरलॉन्ग तक घुस आया था। यहां उसने पांच टेंट लगा दिए थे। इस पर दोनों देशों के बीच ब्रिगेडियर स्तर की वार्ता हुई। चीन ने भारत की आपत्ति के बाद चार टेंट हटा लिए थे।
पिछले साल भी बाराहोती में हुई थी घुसपैठ : पिछले साल जुलाई में भी चीनी सैनिकों के उत्तराखंड के ही बाराहोती से भारतीय सीमा में घुसने का मामला सामने आया था। इलाके में 2013 और 2014 में चीन हवाई और जमीनी रास्ते से घुसपैठ कर चुका है।
भारत की नजर में एलएसी ही आधिकारिक सीमा : भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) 4 हजार किमी लंबी है। भारत इसी को दोनों देशों के बीच आधिकारिक सीमा मानता है, लेकिन चीन इससे इनकार करता है। एलएसी पार करने के मुद्दे पर इस साल की शुरुआत में उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा था कि दोनों देश सीमा को अलग-अलग मानते हैं। लेकिन भारत और चीन के पास ऐसे विवादों का निपटारा करने के लिए तंत्र मौजूद है।
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