सुषमा ने कहा- मोदी और ट्रम्प ने दोनों देशों की रिश्तों की रूपरेखा तय की
- मोदी और ट्रम्प की पिछले साल हुई मुलाकात में बनी थी 2+2 वार्ता पर सहमति
नई दिल्ली. भारत-अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता गुरुवार को हुई। इस दौरान सैन्य संचार से संबंधित समझौते कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (कॉमकासा) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत अमेरिका के आधुनिक हथियारों और तकनीक का इस्तेमाल भारत कर सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक की मदद से भारत को चीन पर नजर रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों ने साथ लड़ने का फैसला किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से बातचीत के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि इस बातचीत से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दोनों देशों के भविष्य के रिश्तों के दिशा-निर्देश तय कर चुके हैं।
दाऊद के खिलाफ भी करेंगे कार्रवाई: बातचीत के दौरान अमेरिका ने दाऊद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों ने डी-कंपनी और उसके सहयोगियों जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को मजबूत करने के लिए 2017 में शुरू की गई द्विपक्षीय वार्ता का भी जिक्र किया।
कॉमकासा से भारत को होगा फायदा : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कॉमकासा के तहत भारतीय सेना अमेरिका की आधुनिक और सुरक्षित कम्युनिकेशन तकनीक से लैस हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल कर सकेगी। यह तकनीक सी-130 जे, सी-17, पी-81 जैसे एयरक्राफ्ट और अपाचे-चिनूक हेलीकॉप्टर में भी काम करेगी। यह अनुबंध अमेरिका के इनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन सिक्योरिटी इक्विपमेंट इस्तेमाल करने के लिए भारत को कानूनी अनुमति देगा। बताया जा रहा है कि यह सिस्टम उस तकनीक से काफी आधुनिक है, जो भारत इस वक्त इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय सेना कई हथियार प्रणालियों के लिए स्थानीय तकनीक का इस्तेमाल करती है। इनमें वे हथियार भी शामिल हैं, जो अमेरिका से खरीदे गए है।
यूपीए सरकार में भी हुई थी कॉमकासा पर चर्चा : जानकारी के मुताबिक, यह मसौदा करीब 10 साल से लंबित था। यूपीए सरकार में भी इस पर चर्चा हुई थी, लेकिन तब माना गया कि इस एग्रीमेंट से भारत के सैन्य अभियानों की गोपनीयता पर असर पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि डोकलाम में भारत ने इसी अमेरिकी तकनीक की मदद से चीनी सैनिकों के ठिकाने ढूंढे थे। वहीं, मेजर जनरल (रिटायर्ड) अफसर करीम ने बताया कि यह एग्रीमेंट भारतीय सेना के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। इससे भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी। भारत-अमेरिका का यह कदम एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव पर असर डालेगा। हालांकि ईरान से भारत के संबंध प्रभावित हो सकते हैं। वह चाबहार पोर्ट इस्तेमाल करने के लिए भारत को रोक सकता है।
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद दो बड़े रक्षा समझौते
जून 2018 : अमेरिका ने भारत को छह अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर (एएच-64ई) बेचने की मंजूरी दी। इनकी कीमत करीब 6340 करोड़ रुपए है। यह हेलीकॉप्टर अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में उड़ान भर सकता है।
मार्च 2018 : भारत ने अमेरिका से 20 साल तक एलएनजी खरीदने का समझौता किया। पहले चरण में 90 लाख टन एलएनजी खरीदी जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गैस आधारित बनाने में मदद मिलेगी।
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