Saturday, 24th May 2025

अदालतों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने क्या कर रही है सरकार : हाईकोर्ट

Thu, Sep 6, 2018 6:14 PM

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि जिला अदालतों में आने वाले वकीलों व पक्षकारों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कर रही है। इस पर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है।

लेक्सोफेक्स लीगल एडवाइजर(एलएलपी) के डायरेक्टर प्रसून अग्रवाल व पलाश तिवारी ने पर्सन इन पीटिशन जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट में अस्पताल व आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध हैं। एक चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ की व्यवस्था की गई है।

वहीं हाईकोर्ट के अधिन आने वाले प्रदेश के किसी भी जिला अदालत में स्वास्थ्य व जीवन रक्षक दवा की व्यवस्था नहीं है। निचली अदालतों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में अधिवक्ता, पक्षकार व न्यायालय के कर्मचारी आते हैं। आपात स्थिति में इनके प्रारंभिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। इस प्रकार सैकड़ों महिलाएं भी आती हैं।

इनके लिए किसी भी अदालत में सेनटरी नेपकिन वेडिंग मशीन की व्यवस्था नहीं है। स्वच्छ शौचालय, दिव्यांग पक्षकारों के लिए रैंप व व्हीलचेयर तक नहीं है। याचिका में कहा गया है कि प्रदेश की सभी निचली अदालतों में स्वास्थ्य केंद्र व विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने पर एक एमबीबीएस डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जानी चाहिए।

इसके अलावा जीवन रक्षक दवा व उपकरण भी उपलब्ध कराने की मांग की है। याचिका पर जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर व जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क प्रस्तुत कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने भी इस मामले में संज्ञान लेकर देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इसकी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

इस पर शासन की ओर से कहा गया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट मानिटरिंग कर रहा है। इस कारण से मामला यहां चलने योग्य नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रदेश की सभी निचली अदालत हाईकोर्ट के अधिन हैं। इस कारण से मामले में हाईकोर्ट सुनवाई कर सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया है।

बिलासपुर जिला अस्पताल का दिया उदाहरण

याचिकाकर्ताओं ने मामले में अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव का उदाहरण पेश किया है। बिलासपुर जिला न्यायालय में कार्य करते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। अदालत में स्वास्थ्य केन्द्र नहीं होने पर उन्हें तुरंत चिकित्सकीय सहायता नहीं मिल पाई। अस्पताल पहुंचने में विलंब के कारण उनकी जान चली गई। इसी प्रकार अन्य घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है।

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