- फरवरी में दोनों भाइयों पर फोर्टिस से 500 करोड़ रुपए के हेर-फेर का आरोप लगा
- फोर्टिस हेल्थकेयर देश की दूसरी सबसे बड़ी हॉस्पिटल चेन
नई दिल्ली. फोर्टिस हेल्थकेयर हाथ से निकलते ही इसके पूर्व प्रमोटर भाइयों की लड़ाई सामने आ गई। शिविंदर सिंह (43) ने मंगलवार को बड़े भाई मलविंदर सिंह (45) के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दाखिल की। उन्होंने मलविंदर पर फोर्टिस को डुबोने का आरोप लगाया। शिविंदर के मुताबिक आरएचसी होल्डिंग, रेलीगेयर और फोर्टिस के मैनेजमेंट में गड़बड़ी की वजह से कंपनी, शेयरहोल्डर और कर्मचारियों को नुकसान हुआ।
याचिका में रेलीगेयर के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी को भी प्रतिवादी बनाया। फोर्टिस के शेयरधारकों ने पिछले महीने मलेशिया की आईएचएच के साथ 7,100 करोड़ रुपए की डील को मंजूरी दी थी। मलेशियाई कंपनी इसमें कंट्रोलिंग हिस्सेदारी लेगी।
शिविंदर का कहना है कि, "अब तक परिवार की प्रतिष्ठा की वजह से चुप रहा। दो दशक से लोग मलविंदर और मुझे एक दूसरे का पर्याय समझते थे। हकीकत ये है कि मैं हमेशा उनका समर्थन करने वाले छोटे भाई की तरह था। मैंने सिर्फ फोर्टिस के लिए काम किया। 2015 में राधास्वामी सत्संग, से जुड़ गया। भरोसेमंद हाथों में कंपनी छोड़ गया था। लेकिन, दो साल में ही कंपनी की हालत बिगड़ गई। सत्संग से लौटने के बाद कई महीनों से कंपनी संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन विफल रहा।"
फोर्टिस 22 साल पुरानी कंपनी: शिविंदर और मलविंदर सिंह ने 1996 में फोर्टिस हेल्थकेयर की शुरुआत की थी। 2001 में मोहाली में इसने पहला अस्पताल शुरु किया। इसके बाद तेजी से विस्तार किया। फिलहाल 10,000 बेड की क्षमता और 314 डायग्नोस्टिक सेंटर्स के साथ फोर्टिस 45 शहरों में अपनी सुविधा दे रहा है। भारत के साथ ही दुबई, मॉरिशस और श्रीलंका में भी इसका नेटवर्क है। शिविंदर ने 2015 में रिटायरमेंट ले लिया। इस साल की शुरुआत में शिविंदर और मलविंदर सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने 500 करोड़ रुपए कंपनी बोर्ड के अप्रूवल के बिना निकाल लिए। 2016 में दोनों भाइयों ने फोर्ब्स की 100 सबसे अमीर भारतीयों की लिस्ट में 92वें नंबर पर जगह बनाई। उस वक्त दोनों की संपत्ति 8,864 करोड़ रुपए थी।
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