Saturday, 24th May 2025

335 स्कूलों में कमजोर हुआ शिक्षा का स्तर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही फिर से उजागर

Sat, Sep 1, 2018 8:47 PM

रायगढ़. जिले के सरकारी स्कूलों में चलाए गए गुणवत्ता अभियान में जिले के 335 स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी कमजोर पाया गया है। इन स्कूलों के बच्चे शिक्षा गुणवत्ता में सी और डी केटेगिरी मे पाए गए हैं। जिले के तकरीबन 3 हजार स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता के लिए अभियान चलाया गया था। जिसमें बच्चों से अलग अलग विषयों के प्रश्न पूछे गए थे। नतीजे आने के बाद अब शिक्षा विभाग इन स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने बच्चों पर विशेष फोकस करने की बात कह रहा है।
डॉ अब्दुल कलाम आजाद शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत जिले में किए गए गुणवत्ता सर्वे में 335 स्कूल कमजोर पाए गए हैं। इन स्कूलों के बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता बेहद कम है। जिले के 1971 प्राइमरी व 906 मिडिल स्कूलों में ये अभियान चलाया गया था। इसके तहत बच्चों से अलग अलग केटेगिरी के प्रश्न पूछे गए थे। इस आधार पर जिले के तकरीबन 15 फीसदी स्कूल कमजोर पाए गए हैं। खास बात यह है कि पिछले तीन सालों की बात करें तो साल 2015 में 882 स्कूल सी, वी, डी केटेगिरी में पाए गए थे। जबकि 2016 में 681 और 2017 में 695 स्कूलों का प्रदर्शन खराब था। हालांकि इस बार संख्या कम होकर 335 तक पहुंची है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इन स्कूलों को अब विशेष फोकस वाले स्कूलों की सूची में शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं इन स्कूलों में अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर इनकी गुणवत्ता को सुधारने की कवायद की जाएगी। दरअसल ये सारी कवायद अगले गुणवत्ता सर्वे में प्रदर्शऩ स्तर सुधारने के लिए है। स्कूलों का अगला सर्वे दिसंबर महीने में होने वाला है जिसमें स्कूलो में उपलब्ध संसाधनों, बच्चों का स्तर, स्कूल की दशा और पिछले और अब के रिजल्ट में सुधार के औसत आधार पर अंक दिए जाने हैं। अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने तकरीबन 232 अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी देने की तैयारी की है। इतना ही नहीं बीईओ व एबीईओ सहित प्राध्यापकों को भी इन स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
नहीं होती है मानिटरिंग
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानटरिंग नहीं होने के कारण शिक्षा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है। जिले की स्कूलों में शिक्षा स्तर सुधारने के लिए अभियान तो शुरू किया गया, पर विडबंना है कि शिक्षा का स्तर अधिकारी सुधार तक नहीं सके और अब यह स्थिति बन गई है कि शिक्षा का स्तर सुधारने सिर्फ दावे कर अधिकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं। 

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