Thursday, 29th May 2025

आईएफएस अफसरों की भारी कमी: भारत के पास विदेश सेवा के महज 940 अधिकारी, चीन से आठ गुना कम

Fri, Aug 31, 2018 7:57 PM

शशि थरूर के मुताबिक, कई लैटिन अमेरिकी देशों में इसलिए दूतावास नहीं खोले जा रहे क्योंकि स्पेनिश बोलने वाले अफसरों की कमी

- रिपोर्ट के मुताबिक, राजनयिकों की कमी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कई काम अटके

 

- विदेश विभाग में अफसरों की संख्या जल्द बढ़ाने को कह चुके हैं ट्रम्प

 

 

वॉशिंगटन.   देश में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अफसरों की काफी कमी है। अमेरिकी वेबसाइट ब्लूमबर्ग के मुताबिक, भारत में विदेश सेवा के महज 940 अफसर हैं। यह संख्या न्यूजीलैंड (885) और सिंगापुर (850) जैसे छोटे देशों के अफसरों की संख्या से कुछ ही ज्यादा है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश विभाग में करीब 6 हजार अधिकारी हैं। चीन में 7500 तो अमेरिका के पास करीब 14 हजार डिप्लोमेट हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के कई लक्ष्य मसलन संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में सदस्यता अफसरों की कमी के चलते ही अटके हुए हैं।
एक पूर्व अफसर का कहना है कि भारतीय विदेश मंत्रालय में अफसरों की खासी कमी है जबकि नरेंद्र मोदी देश को दुनिया में मजबूत करना चाहते हैं। पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे शशि थरूर के मुताबिक भारत के पास काफी कम डिप्लोमेट हैं। देश की आबादी और हमारे लक्ष्यों के लिहाज से इसे सही नहीं कहा जा सकता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय विदेश मंत्रालय में पर्याप्त स्टाफ रखने की बात कही थी ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत, चीन पर ज्यादा दबाव बना सके।

लैटिन अमेरिकी देशों में नहीं खुल रहा दूतावास : शशि थरूर के मुताबिक, "भारत कई लैटिन अमेरिकी देशों में दूतावास खोलने में नाकाम रहा है। इसकी वजह स्पेनिश बोलने वाले अफसरों की कमी है। ज्यादातर भारतीय दूतावासों में एक राजदूत और एक अन्य डिप्लोमेटिक रैंक का अफसर होता है। इसके चलते कामकाज निचले स्तर या लोकल स्टाफ संभालता है जो उतनी योग्यता नहीं रखता। एक बार तो मंत्री के स्टेनोग्राफर को ही उत्तर कोरिया में भारत का राजदूत बना दिया गया था।'' 

विदेश मंत्रालय का तर्क- हर साल हो रही 35 अफसरों की नियुक्ति : विदेश मंत्रालय को अफसरों की कमी के बारे में पता है। सरकार की मानें तो इस दिशा में काम भी किया जा रहा है। एक अफसर के मुताबिक, हर साल विदेश सेवा में 35 नए अफसरों की तैनाती की जा रही है। 2016 में मंत्रालय ने कहा था कि 912 डिप्लोमेट्स के पद स्वीकृत थे, इसके बावजूद 140 अफसरों की कमी रही। वहीं, विदेश विभाग में हर दो साल में होने वाला रिव्यू भी नहीं किया जा रहा। अंतिम रिव्यू 14 साल पहले 2004 में किया गया था।

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