Wednesday, 28th May 2025

भीमा-कोरेगांव: भारत में एक एनजीओ आरएसएस- राहुल गांधी, किरन रिजिजू बोले- राजनीति से बड़ी देश की सुरक्षा

Wed, Aug 29, 2018 4:57 PM

पुलिस का दावा- एल्गार परिषद के नक्सलियों से संपर्क, अलग-अलग शहरों में छापेमारी के दौरान अहम दस्तावेज बरामद

  • भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच में 6 शहरों में छापे, 5 लोग गिरफ्तार
  • माकपा ने छापेमारी और गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया 

 

 

नई दिल्ली.   वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीने गलत बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में सिर्फ एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम आरएसएस है। बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो। सभी एक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिकायत करें, उन्हें गोली मार दो। न्यू इंडिया में आपका स्वागत है। उधर, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि वे (राहुल गांधी) इस पर राजनीति नहीं करें, क्योंकि राजनीति से ऊपर राष्ट्र की सुरक्षा है।

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पुणे पुलिस ने मंगलवार को छह शहरों में छापा मारा था। इस छापेमारी के बाद पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें हैदराबाद से वामपंथी रुझान के कवि वरवर राव, फरीदाबाद से एडवोकेट सुधा भारद्वाज, दिल्ली से गौतम नवलखा, मुंबई से वरनन गोंसाल्विस और ठाणे से एडवोकेट अरुण परेरा की गिरफ्तारी हुई थी। रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुंबडे से पूछताछ की गई थी।

'मनमोहन सिंह ने नक्सलियों को बड़ा खतरा बताया था': किरन रिजिजू ने ट्वीट में कहा- "प्रधानमंत्री के तौर पर डॉ मनमोहन सिंह ने घोषणा की थी कि नक्सलवादी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।" 

सोशल वर्कर हैं सुधा भारद्वाज: सुधा भारद्वाज सोशल वर्कर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में गेस्ट फैकल्टी हैं। वरवर राव कवि और वामपंथी हैं। गौतम नवलखा नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार हैं। वरनन गोंजालविस जिनेस ऑर्गनाइजेशन के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। जबकि अरुण परेरा एक लेखक और कार्यकर्ता हैं। यह कार्रवाई एल्गार परिषद और नक्सलियों के संपर्क की जांच के बाद की गई। परिषद के कार्यक्रम में 31 दिसंबर को हिंसा हुई थी। पुलिस ने इसके पीछे नक्सलियों का हाथ होने का दावा किया था। 

 

माकपा ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कहा: माकपा के नेता प्रकाश करात ने देशभर में हुई छापेमारी और गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया। उन्होंने गिरफ्तार लोगों को छोड़ने के साथ ही केस वापस लेने की मांग की। लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय ने कहा कहा कि ये गिरफ्तारी सरकार के लिए खतरनाक संकेत है। इससे यह साबित होता है कि सरकार अपना जनादेश खो रही है और आतंक का सहारा ले रही है।

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