नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के स्वरूप में बदलाव नहीं करने को कहा है। उन्होंने लिखा- " नेहरू सिर्फ कांग्रेस के नहीं, बल्कि पूरे देश के नेता थे, लेकिन सरकार एजेंडे के तहत उनसे जुड़े दोनों स्थलों (म्यूजियम और लाइब्रेरी) का स्वरूप और प्रकृति बदलना चाहती है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।" पिछले हफ्ते भेजी चिट्ठी में मनमोहन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान एक बार भी दोनों स्थलों में बदलाव की कोशिशें नहीं की, लेकिन इस सरकार ने इसे एजेंडा बना लिया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले सामने आईं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का म्यूजियम बनाना चाहती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार नेहरू की विरासत को मिटा देना चाहती है। तीन मूर्ति पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निवास था। 1964 में उनके निधन के बाद इसे मेमोरियल बना दिया गया। भवन में उनके नाम पर म्यूजियम और लाइब्रेरी बनाई गई।
वाजपेयी ने कहा था- तीन मूर्ति में कोई नहीं ले सकता पंडितजी की जगह: मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार की संशोधन नीति कभी नेहरू के किरदार और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को कम नहीं कर सकती। उन्होंने नेहरू के निधन के बाद संसद में अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि खुद वाजपेयी कहते थे- पंडितजी की तरह अब कोई भी तीन मूर्ति की शोभा नहीं बढ़ा सकता। उनके जैसी जीवंत शख्सियत, विपक्ष को साथ लेकर चलने की उनकी कला, उनकी सज्जनता और महानता शायद ही कभी भविष्य में दिखे। मतभेदों के बावजूद उनके आदर्शों, देशप्रेम और अतुलनीय साहस के लिए सभी के मन में उनके लिए सम्मान है।
इतिहास और विरासत के सम्मान के लिए ना किए जाएं बदलाव: मनमोहन सिंह ने कहा, “तीन मूर्ति देश को खड़ा करने वाले पहले प्रधानमंत्री की स्मृति है। उनकी विशिष्टता और महानता को उनके राजनीतिक विरोधी भी स्वीकार करते थे। हमें इतिहास और विरासत का सम्मान करते हुए तीन मूर्ति को जैसा है, वैसा ही छोड़ देना चाहिए। साथ ही नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी को भी पेशेवर उत्कृष्टता का संस्थान बने रहने देना चाहिए।”
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