नई दिल्ली। केरल में 8 अगस्त से हुई भारी बारिश के कारण 230 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। 10 लाख से अधिक लोगों के घर तबाह हो चुके हैं और वे शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। संपत्ति के नुकसान की बात करें, तो करीब 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है।
लिहाजा, यूएई के पीएम व दुबई के शासक शेख मोहम्मद अल मख्तूम ने 700 करोड़ रुपए की मदद की पेशकश की थी। उन्होंने स्थिति के बारे में लिखते हुए तीन ट्वीट किए। अपने पहले ट्वीट में उन्होंने उल्लेख किया कि यूएई के विकास में केरल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दूसरे और तीसरे ट्वीट में उन्होंने केरल के लोगों की हर संभव मदद की पेशकश की।
पीएम नरेंद्र मोदी व केरल के सीएम पिनराई विजयन ने ट्विटर के जरिए इसकी प्रशंसा भी की है। मोदी ने मख्तूम की पेशकश पर धन्यवाद देते हुए कहा कि मख्तूम की यह चिंता दिखाती है कि भारत और यूएई के बीच कैसे अच्छे संबंध हैं।
मगर, विदेशी वित्तीय मदद नहीं लेने की भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। लिहाजा, कई नेताओं और लोगों ने इस कदम की आलोचना की है। मगर, यह कुछ वजहें हैं कि भारत विदेशी सहायता स्वीकार नहीं कर सकता है।
दरअसल, यूपीए के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह द्वारा बनाई गई नीति के कारण भारत विदेशी मदद नहीं लेता है। वर्ष 2004 से भारत ने किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा के लिए विदेशी आर्थिक मदद लेने की परंपरा पर रोक लगा दी थी। तब उन्होंने कहा था कि जब तक भारत समस्या से निपटने में स्वयं सक्षम है, तब तक वह कोई विदेशी मदद नहीं लेगा।
एक समय था जब देश में कोई भी प्राकृतिक आपदा आती थी, तो सरकार की कोशिश विश्व बैंक, आईएमएफ सहित अन्य विदेशी सरकारों से ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद लेने की होती थी। इसका मकसद राहत कार्य तेजी लाना होता था। मगर, अब स्थितियां बदल चुकी हैं।
दूसरा कारण, यह है कि किसी भी देश से मदद लेने के बाद दूसरे देशों के लिए भी रास्ता खुल जाता है। ऐसे में किसी दूसरे देश की ओर से दी जाने वाली मदद की पेशकश को ठुकराने का कोई आधार नहीं बचता है।
हालांकि, इस बात का ध्यान रखा गया कि भारत की तरफ से दूसरे देशों को दिए जाने वाले आर्थिक मदद में इजाफा हो। वर्ष 2004 की सुनामी में काफी क्षति उठाने के बावजूद भारत ने दूसरे किसी भी देश से वित्तीय मदद नहीं ली। इस दौरान श्रीलंका, थाइलैंड सहित अन्य देशों को आर्थिक मदद जरूर दी।
यही वजह है कि केरल में बाढ़ के बाद जब विदेशी सरकारों की तरफ से मदद का प्रस्ताव आने लगे, तो विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों व मिशनों को यह याद दिलाया है कि वह इसे नम्रतापूर्वक लेने से मना कर दें। भारत इस फैसले के जरिये दुनिया को यह बताना चाहता है कि वह अपनी समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
सुनामी में भी नहीं ली थी मदद
विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2004 की सुनामी में भारत को अमेरिका, जापान समेत कई देशों ने वित्तीय मदद की पेशकश की थी। मगर, भारत ने सभी को धन्यवाद देते हुए मदद लेने से मना कर दिया। इन देशों को कहा गया कि वह अपने पसंद के एनजीओ के जरिए मदद दे सकते हैं। जबकि सुनामी से प्रभावित श्रीलंका, थाइलैंड व इंडोनेशिया को संयुक्त तौर पर 2.65 करोड़ डॉलर की मदद की थी।
उसके बाद से ही भारत प्राकृतिक आपदा आने पर दूसरे देशों को बढ़-चढ़ कर वित्तीय मदद देता रहा है। वर्ष 2005 में जब कश्मीर में भूकंप आया था, तो भारत ने पाकिस्तान को 2.5 करोड़ डॉलर की मदद दी थी। वर्ष 2011 में फुकुशिमा (जापान) में आए भूकंप और उसकी वजह से वहां के परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुई दुर्घटना से प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाई थी। हाल ही में भयंकर भूकंप झेल रहे नेपाल को भारत की तरफ से एक अरब डॉलर की मदद दी गई।
भारत ने अंतिम बार प्राकृतिक आपदा से लड़ने के लिए विदेशी मदद वर्ष 2004 में बिहार में आई बाढ़ के बाद राहत कार्य के लिए अमेरिका व ब्रिटेन से ली थी। उसके पहले गुजरात भूकंप (वर्ष 2001) में कई देशों ने भारत को वित्तीय मदद दी थी। सूत्रों के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत ने किसी भी प्राकृतिक आपदा से लड़ने के लिए पर्याप्त क्षमता विकसित कर ली है।
केरल की बाढ़ से भी यह साफ साबित हो रहा है। जिस स्तर पर तेजी से वहां बचाव अभियान चलाया गया है, वह अपने आप में अनूठा है। यह एक बड़ी वजह है कि भारत दूसरे देशों से अब कोई मदद नहीं लेता। वैसे विदेशी निजी संस्थाएं या एनजीओ राहत कार्य या आपदा बाद पुर्नस्थापना से जुड़े कार्यों में मदद कर सकते हैं।
विदेशी चंदा स्वीकार करने के लिए नियम बदले सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस ने विदेशी चंदा स्वीकार नहीं करने की खबरों को निराशाजनक करार दिया। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नियम में बदलाव के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि पीड़ित लोगों के लिए नियम को दरकिनार किया जा सकता है।
केरल सरकार करेगी पीएम से अनुरोध
केरल की सरकार प्रधानमंत्री मोदी से विदेशी चंदा स्वीकार करने में रुकावट खत्म करने के लिए अनुरोध करेगी। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को यह कहा।
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