- लोकसभा उपचुनाव में जीत से विपक्षी उत्साहित, भाजपा में टेंशन
नई दिल्ली.2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए तमाम विपक्षी दलों की जोड़-तोड़ जारी है। राजस्थान और उत्तरप्रदेश में लोकसभा उपचुनावों में जीत से विपक्षी उत्साहित हैं, जबकि भाजपा चिंतित। अन्य दल 2019 में भी मिलकर लड़े, तो भाजपा को तीन बड़े राज्यों में 74 सीटों का नुकसान हो सकता है।
इन राज्यों में भाजपा को 121 सीटें मिली थीं। यह सिर्फ अनुमान है क्योंकि 2019 में इन दलों में सीटों के बंटवारे पर सहमति की गुंजाइश कम और विवाद की आशंका ज्यादा है। वहीं 45 छोटे दल भी हैं, जो 78 सीटों पर गेमचेंजर हो सकते हैं क्योंकि जीत का अंतर काफी कम था।
तीन बड़े राज्यों की 168 सीटों पर विपक्ष साथ लड़ा तो भाजपा को नुकसान
राज्य | कुल सीट | चुनौती | 2014 में भाजपा | संभावित नुकसान |
उत्तरप्रदेश | 80 | सपा-बसपा-कांग्रेस-अन्य | 71 | 43 सीट |
महाराष्ट्र | 48 | कांग्रेस-एनसीपी-अन्य | 23 | 18 सीट |
बिहार | 40 | कांग्रेस-राजद-अन्य | 27 | 13 सीट |
भाजपा के खिलाफ विपक्ष के गठबंधन की स्थिति में उत्तरप्रदेश में वरुण गांधी सुल्तानपुर सीट से और अश्विनी चौबे बिहार के बक्सर से हार सकते हैं।
इसे ऐसे समझ सकते हैं...
सुल्तानपुर में 2014 में वरुण गांधी को 4.10 लाख वोट मिले थे। लेकिन कांग्रेस-एसपी-बीएसपी के वोट जोड़ें, तो पांच लाख से ज्यादा हैं। अगर यही ट्रेंड रहा तो भाजपा के वरुण गांधी यह सीट हार सकते हैं। बिहार के बक्सर से भाजपा के अश्विनी चौबे को 3.19 लाख वोट मिले थे। आरजेडी-बीएसपी के वोट जोड़े तो 3.71 लाख होते हैं। यानी वोट ऐसे ही पड़े तो अश्विनी चौबे भी बक्सर सीट हार सकते हैं। महाराष्ट्र में चूंकि भाजपा-शिवसेना साथ लड़े थे, लेकिन अब शिवसेना अलग है। इस हिसाब से भाजपा को करीब 18 लोकसभा सीटों पर नुकसान का खतरा है।
2014 से भाजपा की 45 सीटें घटीं :पिछले चुनाव में भाजपा ने 15 बड़े राज्यों में 191 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2014 के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा के वोट घटे हैं। ऐसे में 2014 के बाद हुए राज्यों के चुनावों के हिसाब से भाजपा को सिर्फ 146 लोकसभा सीटें मिलेंगी। यानी 2014 की तुलना में 45 सीटें कम।
भाजपा का वोट प्रतिशत 10% घटा :2014 के चुनावों में भाजपा ने इन 15 राज्यों में 39% वोट हासिल किए थे। राज्यों में चुनाव के बाद यह 29% तक घट गए हैं। यानी, एक ही निर्वाचन क्षेत्र में 2014 में 100 में से 39 मतदाताओं ने भाजपा को चुना था, जबकि बाद के चुनावों में 100 में से सिर्फ 29 ने ही भाजपा को चुना है।
15 राज्यों में 26 सीटों पर 10 हजार से कम रहा हार-जीत का अंतर :2014 में 15 राज्यों की 26 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत का अंतर 10 हजार वोटों से भी कम रहा था। इन राज्यों में ऐसे कई छोटे-बड़े दल हैं जिन्हें एक लाख से लेकर 29 लाख तक तक वोट मिले हैं। अगर ये वोट दूसरे या तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को मिल जाते, तो चुनावी नतीजे कुछ और हो सकते थे।
राज्य | सीट | छोटे दलों को वोट |
आंध्रप्रदेश | 03 | 1.56 करोड़ |
बिहार | 03 | 24.60 लाख |
कर्नाटक | 03 | 2.15 लाख |
केरल | 03 | 19.71 लाख |
बंगाल | 02 | 23 लाख |
छत्तीसगढ़ |
02 |
2.86 लाख |
महाराष्ट्र | 02 | 7.08 लाख |
उत्तरप्रदेश | 01 | 29.44 लाख |
ओडिशा, झारखंड, मिजोरम में 1-1 सीट पर छोटे दलों को दो लाख वोट। लद्दाख में जीत का अंतर सिर्फ 36 वोट था। 43 हजार वोट छोटे दलों को।
स्रोत-पीआरएस, चुनाव आयोग, इलेक्शन्स डॉट इन।
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