रायगढ़. विकास के नाम पर एनटीपीसी लारा के लिए कोयला परिवहन के लिए बनाए जा रहे रेलवे कॉरिडोर के कारण सांपखार जंगल व उससे लगे पहाड़ी को चीर कर हजारों पेड़ो की कटाई कर देने से यह प्राकृतिक धरोहर अब उजाड़ व अस्तव्यस्त हो गया है। कभी शेर की दहाड़ व हाथियों की चिंघाड़ से दहलने वाला यह घना जंगल व पहाड़ी अब उजाड़ बनकर रेलवे की छुक-छुक आवाज से गुंजायमान होगी। कभी सर्पदेवी की पूजा करने के बाद घने जंगल के सराई के घने छांव के बीच आगे बढऩे वाला राही, अब वो सुंदरता का अहसास नहीं कर सकते जो घने जंगलों में सफर तय करने से मिलता है। दो प्रदेशों के लोगों के आस्था का केंद्र सांपखार का यह सांपखंडीन देवी की मंदिर जहां हजारों लोगों की उपस्थिति में नवरात्र पर्व की धूम मची रही है। वहां आज उजाड़ सा हो गया है। सकरबोगा छत्तीसगढ़ से कनकतोरा ओडि़सा के बीच दोनों राज्यों के सीमा पर स्थित उक्त सर्पदेवी की मंदिर में दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। शारदेय नवरात्रि पर्व तथा चैत्र नवरात्र पर्व पर यहां मेला लगता है। एनटीपीसी के रेलवे लाइन निर्माण के कारण अब सांपखार सड़क भी किसी दल दल खेत जैसा हो गया है। भारी वाहनों के कारण भी उक्त सड़क मार्ग जर्जर हालत में है। एनटीपीसी के आला अधिकारियों की अंधी नजर शायद ही पड़े। विकास के नाम पर बर्बाद करने तुली एनटीपीसी लारा के अधिकारी उक्त सड़क मार्ग की सुधि आखिर कब लेंगे। लोंगो की आस्था का केंद्र को संवरने के लिए क्या एनटीपीसी के सीएसआर मद में कोई योजना नहीं है। कब तक इस मार्ग का जीर्णोंद्धार हो पाएगा समझ से परे हैं।
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