ग्वालियर/भोपाल।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद नाजुक है। करीब डेढ़ साल पहले उनके बचपन के दोस्त शैवाल सत्यार्थी अटलजी से मिलने दिल्ली गए थे। अटलजी से मिलने के बाद जब शैवाल सत्यार्थी वापस ग्वालियर आए तो उनकी सेहत के बारे में बताया। शैवाल ने कहा था कि वह मेरे लिए कृष्ण और मैं साहित्यजीवी मित्र सुदामा हूं। उनकी हालत देख इतना दुख पहुंचा कि शून्य की स्थिति में पहुंच गया, लेकिन यह देख कर गदगद हो गए कि स्मृति लोप (मेमोरी जाना) जैसी हालत में भी अटलजी ने पहचान लिया। अटलजी ने सिखाए दोस्ती के मायने....
- अटलजी के परिवार के सदस्यों के अलावा कई परिचित ग्वालियर में हैं। लेकिन जब बचपन के मित्रों की बात आती है तो सबसे पहले नाम आता है रामबाग कॉलोनी में रहने वाले मनराखन मिश्र और शैवाल सत्यार्थी का। दो साल मनराखन मिश्र इस दुनिया से विदा हो गए। अब शैवाल सत्यार्थी हैं जो उनके बचपन की स्मृतियों को सहेजे हुए हैं।
- अटलजी शैवाल से थोड़े बड़े थे लेकिन पड़ोसी होने के नाते उनकी शैवाल से दोस्ती हो गई। अटलजी से प्रभावित शैवाल सत्यार्थी ने भी उन्हीं संस्थाओं से पढ़ाई की जहां अटलजी पढ़े। अटलजी ने ही शैवाल को बताया कि दोस्त का मतलब यह नहीं होता कि हर वक्त दोस्त का समर्थन किया जाए, बल्कि सच्चा दोस्त वह होता है जो गलत करने पर सही राह दिखा सके।
- शैवाल ने बताया कि स्कूल में अटलजी उनके सीनियर थे, एक डिबेट में उन्हें जज बनाया गया था। शैवाल ने भी उसमें भाग लिया था, लेकिन एक लड़की से डिबेट करते वो नर्वस हो गए। उन्हें उम्मीद थी जज अटलजी हैं तो नर्वसनेस को नजरअंदाज कर देंगे, जबकि अटलजी ने शैवाल को ‘0’ दिया। पूछने पर बताया कि अभी बैसाखी दे दूंगा तो तुम विकलांग ही रह जाओगे।
अटलजी कृष्ण, मैं सुदामा : शैवाल
- शैवाल सत्यार्थी ने बताया कि मैं अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के शिखर पहुंच कर भी अपनों के लिए बेहद सामान्य बने रहे। पहली बार प्रधानमंत्री बन ग्वालियर आए तो मनराखन मिश्र जी और मुझे विशेष तौर पर मिलने बुलाया, घर के बने पकवान मंगाए और साथ बैठकर खाए।
- हाल ही में शैवाल सत्यार्थी को दिल का दौरा पड़ा, लेकिन स्वस्थ हो गए। उस वक्त उनकी इच्छा हुई कि अटलजी से मिलना चाहिए। वह दिल्ली पहुंचे और उनके मिलने के लिए आवेदन की औपचारिकता प्रक्रिया पूरी की। उनका आवेदन अटल की देखरेख कर रहे झींगटा जी तक पहुंचा, उन्होंने अटलजी के सामने ग्वालियर से शैवाल सत्यार्थी नाम पढ़ा, तो बोलने में कठिनाई महसूस कर रहे अटलजी ने झींगटा को इशारे से मेरे लिए तत्काल सारे इंतजाम करने का निर्देश दिया।
- शैवाल ने बताया कि जैसे ही वह अटलजी के रूम पहुंचे, एक बड़े बेड पर अटलजी को चादर ओढ़े लेटे देखा। उनकी दुर्बल दशा देख शैवाल को गहरा सदमा पहुंचा और वह खड़े रह गए। झींगटा जी ने आगे आने के लिए कहा तब उन्हें होश आया। शैवालजी ने बताया, ‘सूर्य जैसे तेजस्वी अटलजी की हालत देख कर मैं शून्यवत रह गया, और बुलाने पर होश में आया तो बस उनके कदमों तक ही जाने का साहस जुटा सका।
- उन्होंने बताया कि अटलजी लगभग स्मृति लोप की स्थिति में मिले, इसके बावजूद जब झींगटाजी ने नाम लेकर मेरी ओर इशारा किया तो अटलजी की आंखों में अांसू और चेहरे पर मुस्कान के भाव आ गए। झींगटाजी ने आश्चर्य से बताया कि लंबे अरसे बाद किसी को देख कर अटलजी के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में किसी तरह की प्रतिक्रिया आई।
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