- 1971 में माकपा के समर्थन से पहली बार निर्दलीय सांसद चुने गए थे
कोलकाता. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे 89 साल के थे। उनका स्वास्थ्य कुछ महीनों से ठीक नहीं था। जुलाई में हेमोरेजिक स्ट्रोक के बाद उनका 40 दिन तक इलाज चला था। 6 अगस्त को ही अस्पताल से छुट्टी मिली थी। किडनी की दिक्कत बढ़ने के चलते 9 अगस्त को उन्हें फिर कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक, रविवार सुबह डायलिसिस के दौरान चटर्जी को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई।
चटर्जी 1968 से माकपा में थे। 2008 में अमेरिका से एटमी डील के मुद्दे पर माकपा ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस पर मनमोहन सिंहसरकार खुद विश्वास प्रस्ताव लाई थी ताकि लाेकसभा में बहुमत साबित कर सके। वोटिंग की तैयारी के तहत माकपा ने अपने सांसदों की सूची में चटर्जी का नाम भी शामिल किया था, जबकि वे लोकसभा अध्यक्ष जैसे निष्पक्ष पद पर थे। पार्टी ने उनसे स्पीकर पद से इस्तीफा देने को कहा ताकि वे सरकार के खिलाफ वोट डाल सकें। चटर्जी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। वोटिंग में मनमोहन सिंह सरकार ने बहुमत साबित कर दिया। 23 जुलाई 2008 को चटर्जी को माकपा से निष्कासित कर दिया गया।
एक बार ममता बनर्जी से हारे थे : चटर्जी 1971 में माकपा के समर्थन से निर्दलीय सांसद बने थे। वे सबसे लंबे वक्त तक सांसद रहने वाले नेताओं में शामिल रहे। वे 10 बार सांसद चुने गए। सिर्फ 1984 में वे ममता बनर्जी से जाधवपुर सीट से हार गए थे। इसके बाद 1989 से 2004 तक जीत का सिलसिला जारी रहा। 2004 में वे 14वीं लोकसभा में 10वीं बार सांसद चुने गए। 1996 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार मिला। सोमनाथ 2004 में आम सहमति से लोकसभा स्पीकर बने। वे इस पद पर 2009 तक रहे। चटर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक जताया।
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