नई दिल्ली। असम में एनआरसी द्वारा नागरिकता ड्राफ्ट जारी किए जाने के बाद 40 लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिल पाई है। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि यह ड्राफ्ट है और इसे अंतिम लिस्टा ना माना जाए। लेकिन दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को संसद में उठाया है और मांग की है कि उन 40 लाख लोगों के साथ न्याय किया जाए।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए एक व्यक्ति के साथ सरकार भी सामने आए। नागरिकता साबित करने के लिए उन्हें कई सबूत देने हैं, सरकार लोगों को कानून मदद दे। अगर व्यक्ति 16 में से एक भी सबूत देता है तो उसे नागरिक माना जाना चाहिए। इसे वोट की राजनीति का विषय ना बनाते हुए राज्य और केंद्र सरकार मानवाधिकार का विषय मानें।
वहीं सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर देश के नागरिक का नाम ही लिस्ट में नहीं होगा तो वो कहां जाएगा। हमारा संविधान देश के लोगों को कहीं भी जाने, रहने और व्यवसाय की इजाजत देता है। अगर लोगों के पास वैध दस्तावेज हैं तो उनका नाम लिस्ट में शामिल किया जाए।
वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सराकर पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां विभाजनकारी हैं। भाजपा दलितों और अल्पसंख्यकों को परेशान कर रही है। अगर किसी के पास एक भी सबूत नही है नागरिकता का तो क्या वो भारत का नागरिक नहीं है। सरकार सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है।
बता दें कि इस मुद्दे पर सोमवार को भी सदन में हंगामा हुआ था। तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बयान देते हुए कहा था कि यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हो रही है और इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। साथ ही यह ड्राफ्ट है और अंतिम लिस्ट फिलहाल जारी नहीं हुई है। लोगों को अपने दावे आपत्ति के लिए समय दिया जाएगा।
Comment Now