भिलाई।मरोदा रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनाने के लिए रेलवे ने अपना काम रविवार रात 9.30 बजे से शुरू कर दिया है। यह काम देर रात तक चला। रेलवे और कंस्ट्रक्शन कंपनी के 70 से ज्यादा लोग इस टीम में शामिल थे। इसके लिए दुर्ग-दल्लीराजहरा लाइन में रात 10 बजे से मेगा ब्लॉक लिया।
- अधिकारियों की माने तो, अब सोमवार को मेगा ब्लॉक लेने की आवश्यकता नहीं होगी। दोनों साइड 6 गर्डर लगाए गए हैं। एक-एक गर्डर की लंबाई 38 मीटर है। वहीं एक गर्डर का वजन 36 टन आंका गया है। अफसरों ने बताया कि, अब 45 दिनों तक इसे सेट करने में लगेंगे।
- संभवत: सितंबर के आखिरी सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह में ओवरब्रिज का शुभारंभ हो जाएगा। लोग इसमें चलना शुरू कर देंगे। दुर्ग-दल्लीराजहरा रूट पर रोजाना मालगाड़ी और यात्री ट्रेन मिलाकर 15 गाड़ियां अप-डाउन करती हैं। रविवार रात 10 बजे से ब्लॉक लिया गया।
अभी हर 15 मिनट में बंद होता है रेलवे फाटक
- मरोदा रेलवे क्रॉसिंग में ओवरब्रिज निर्माण से पांच लाख की आबादी को रोजाना राहत मिलेगी। यहां से रोजाना मरोदा से नेवई, उमरपोटी, डुंडेरा, उतई, पाटन, जामगांव और अभनपुर का रूट है। अभी हर 15 मिनट में फाटक बंद हो जाता है।
ओवरब्रिज का डेवलपमेंट इंडेक्स
- 33.28 करोड़ रु. प्रोजेक्ट की लागत।
- 45.215 मीटर पाटन की ओर ओवरब्रिज की लंबाई।
- 467.800 मीटर दुर्ग की ओर ओवरब्रिज की लंबाई।
- 1495 मीटर सर्विस रोड की लंबाई।
- 13 मीटर की चौड़ाई है।
गर्डर से जुड़ी जरूरी बातें
- 4 हाइड्रोलिक क्रेन लगाया गया था गर्डर लांचिंग में। नागपुर से एक हाइड्रोलिक एक्सल लाया गया था।
- इस मशीन का उपयोग पहली बार छत्तीसगढ़ में हुआ।
- 70 लोगों की टीम रेलवे पोर्शन में गर्डर लांचिंग में लगी थी।
- 45 दिन तक सेट होगा।
386 ने किया था कब्जा हटाने में लग गए 4 महीने
- मरोदा बीआरपी गेट से पटरीपार तक रेलवे व बीएसपी की जमीन है। जिस पर करीब 386 लोगों ने कब्जा कर रखा था। कब्जाधारियों को हटाने में ही चार महीने लग गए। स्थानीय रहवासी व्यवस्थापन की मांग कर रहे थे। इसलिए वे कब्जा नहीं छोड़ रहे थे।
- 22 मई 2015 को टेंडर स्वीकृत हुआ। 09 जून 2015 को वर्कऑर्डर 30 नवंबर 2015 को रेलवे साइड का वर्कऑर्डर हुआ। 08 जुलाई 2017 तक कार्य पूर्ण करना था।
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