धार/लाडिवॉस्तॉक(रूस).सालभर पहले उभरी पैर की चोट और घुटने की बढ़ती हड्डी का असहनीय दर्द। इन सबको पीछे छोड़ दो महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद शानदार वापसी करते हुए धार के होनहार बैडमिंटन खिलाड़ी सौरभ वर्मा ने रूस आेपन बैडमिंटन टूर्नामेंट जीत लिया। यह खिताब जीतने वाले सौरभ पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं। वर्ल्ड नंबर 65 सौरभ ने फाइनल में जापान के कोकी वतानबे को 19-21, 21-12, 21-17 से हराया। फाइनल जीतने पर सौरभ को 51.50 लाख रुपए इनाम के तौर पर मिले। सौरभ के पिता सुधीर वर्मा बताते हैं कि सालभर से वह एड़ी की चोट से जूझ रहा था। इसके अलावा बचपन से ही उसके बाएं घुटने की हड्डी बड़ी हुई है। उम्र बढ़ने के साथ ही हड्डी भी बढ़ती जा रही है। इससे उसे दर्द होता है। इसके चलते फ्रांस ओपन और एक अन्य इंटरनेशनल टूर्नामेंट से उसे नाम वापस लेना पड़ा। हालांकि फिजियो की कड़ी ट्रेनिंग से वह दर्द से उबर सका।
बैकग्राउंड के कारण शटल नहीं दिख रही थी: सौरभ ने रूस के लाडिवॉस्तॉक से राजेश रावत को बताया कि मैंने हर मैच पर फोकस करने की रणनीति बनाई थी। यानी जो मैच होना और जिससे होना है उसे कैसे जीतना है। बस यह रणनीति काम आई और फाइनल तक पहुंच गया। फाइनल में वाइड बैकग्राउंड की वजह सेशटल दिखाई ही नहीं दे रही थी। समझ ही नहीं आ रहा था कि कैसे खेलूं। इसी वजह से पहला गेम 11-5 से हार गया। साइड बदलते ही शटल साफ नजर आने लगी। शटल की रिदम और लय पकड़ में आने से दूसरा गेम जीत गया। तीसरे गेम में फिर उसी साइड में पहुंच गया था, लेकिन मैंने खुद को शांत रखा। यह कठिन समय निकालना मेरे लिए चुनौती था। फिर दूसरी साइड में पहुंचते ही लय पकड़ी और मैच जीत लिया। मैच में कोर्ट और शटल के साथ बैकग्राउंड का बड़ा महत्व होता है। हर खिलाड़ी इसी आधार पर रणनीति बनाता है। मैंने भी यही किया।
छोटा भाई समीर भी इंटरनेशनल खिलाड़ी, वर्ल्ड में है 19वीं रैंक:सौरभ के छोटे भाई समीर वर्मा भी बैडमिंटन के इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं। वे सोमवार से चीन में शुरू हो रही वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलेंगे। वर्ल्ड नंबर 19 समीर इंटरनेशनल चैलेंज, ग्रांपी और सुपर सीरीज में खेल चुके हैं। 2015 में मुंबई में इंटरनेशनल चैलेंज के फाइनल अौर 2016 में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप के फाइनल में समीर अपने भाई सौरभ को हरा चुके हैं।
परिवार ने नेट पर स्कोर देखा:इस बार स्पर्धा का लाइव प्रसारण नहीं होने से परिवार ने नेट पर सिर्फ स्कोर ही देखा। सौरभ के पिता व बैडमिंटन कोच सुधीर वर्मा ने कहा कि इस सफलता से सौरभ की रैंक सुधरेगी और वह मानसिक रूप से तटस्थ भी होगा।
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