नई दिल्ली. भारत समेत दुनियाभर के लोगों ने शुक्रवार रात सबसे बड़े चंद्रग्रहण को देखा। देर रात 11:54 बजे चांद पृथ्वी की परछाई में छिप गया। चंद्रमा को 104 साल का सबसे बड़ा ग्रहण लगा। शनिवार तड़के 3:49 बजे जब सूरज और चांद के बीच में से पृथ्वी हटी तो चंद्रमा से ग्रहण भी हट गया। एक घंटे 43 मिनट तक तो पूर्ण चंद्रग्रहण रहा। 2 बजे के करीब कुछ देर के लिए चांद लाल भी हुआ, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। इस चंद्रग्रहण के दौरान चांद और पृथ्वी के बीच सर्वाधिक दूरी रही। दोनों के सर्वाधिक दूरी पर आ जाने की घटना को एपोजी कहते हैं। इस स्थिति में पृथ्वी से चांद की अधिकतम दूरी 4.06 लाख किमी होती है।
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच ज्यादा दूरी की वजह से ग्रहण का वक्त 1914 के बाद सबसे ज्यादा 3 घंटे 54 मिनट और 33 सेकंड रहा। इस साल 31 जनवरी को भी पूर्ण चंद्रग्रहण था। तब इसकी अवधि 1 घंटा 40 मिनट थी। 4 अप्रैल 2015 को सदी का सबसे छोटा चंद्रग्रहण था। इसका ग्रहण काल सिर्फ 4 मिनट 48 सेकंड था। अब 31 दिसंबर 2028 को अगला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। 2019 में दो सूर्य और एक चंद्रग्रहण होगा।
क्यों होता है चंद्रग्रहण : जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक तौर पर ढंक जाता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती, जिसके कारण पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्रग्रहण नजर आता है।
दुनिया के इन इलाकों में देखा गया पूर्ण चंद्रग्रहण: यूरोप, एशिया के ज्यादातर देशों, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और आसपास के देशों, उत्तरी अमेरिका, प्रशांत क्षेत्र, अटलांटिक, भारतीय महासागर और अंटार्कटिका में दिखाई दिया।
चार दिन बाद एक और खगोलीय घटना : 31 जुलाई को मंगल ग्रह पृथ्वी के करीब आएगा। तब दोनों ग्रहों के बीच दूरी 5.76 करोड़ किलोमीटर होगी। इस दौरान लाल ग्रह दोगुना बड़ा दिखाई देगा। दोनों ग्रह 15 साल पहले 2003 इतने करीब आए थे। तब इनके बीच की दूरी 5.57 करोड़ किलोमीटर थी। इसके बाद यह नजारा 6 अक्टूबर 2020 को दिखाई देगा। तब इन ग्रहों के बीच की दूरी 6.176 करोड़ किलोमीटर होगी।
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