Tuesday, 27th May 2025

ये प्रस्ताव मंजूर हो गया तो बच्चों को मिड डे मील में मिलेगा दूध

Fri, Jul 27, 2018 8:20 PM

रायपुर। राज्य में दूध के बढ़ते उत्पादन और उसकी तुलना में कम खपत ने इस कारोबार को तगड़ा झटका दिया है। राज्य शासन के अधीनस्थ संचालित छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित से अनुबंधित 50 हजार से भी अधिक किसान परेशान हैं, क्योंकि उनके लाखों, करोड़ों रुपए फंस गए हैं।

महासंघ दूध खरीद रहा है, लेकिन उसके पास भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। यही वजह है कि महासंघ ने सरकार से मांग की है कि दूसरे राज्यों की तरह स्कूल में दूध पाउडर, दूध की सप्लाई की अनुमति दें। इससे न सिर्फ बच्चों का बौद्धिक, शारीरिक विकास होगा, बल्कि दूध कारोबार पर आया संकट भी टल सकेगा।

इसे लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के साथ महासंघ की दो बैठक हो भी चुकी है। सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा सकती है। स्कूलों में दूध सप्लाई होगी, इसके एवज में विभाग महासंघ को एक निर्धारित मूल्य पर भुगतान करेगा।

'नईदुनिया' ने गुरुवार को 'दूध नहीं बिका तो बना दिया 500 टन पाउडर, किसानों के करोड़ों रुपए फंसे' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मौजूदा समय में देश में उपजे इस सबसे बड़े संकट के बारे में बताया था, अन्य राज्यों ने क्या समाधान निकाले हैं इन्हीं भी समझाया था। जानकारी के मुताबिक महासंघ ने इस संकट को लेकर चार महीने पहले सरकार को खबर कर दी थी, लेकिन आज दिनांक तक कोई नतीजा नहीं निकल सका।

 

कुपोषण से मुक्ति का भी तर्क दिया गया- राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बच्चे कुपोषित हैं। महासंघ की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि अगर स्कूलों को लेकर उनका दिया प्रस्ताव मंजूर होता है तो कुपोषण भी कम हो सकता है। वे फेलेवर्ड मिल्क भी सप्लाई करेंगे।

देवभोग द्वारा उत्पादित दूध के प्रकार

 

सुप्रीम- 500 मिली. (22.50 रुपए)

पावर (टोंड) दूध- 500 मिली. (20 रुपए)

 

हेल्थ (डबल टोंड) दूध- 500 मिली. (18 रुपए)

देवभोग यूएचटी दूध- 500 मिली. (27 रुपए)

 

(नोट- निजी कंपनियों अमूल, वचन की दरें भी इसी के ईर्द-गिर्द हैं।)

संकट से उबारने के लिए मदद मांगी गई

 

महासंघ ने कृषि उपज मंडी बोर्ड से 10 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद मांगी है, ताकि किसानों को कुछ राशि का भुगतान किया जा सके। महासंघ बीते 25 दिनों से किसानों को एक नया पैसा भुगतान नहीं कर रहा है, यह राशि 25-27 लाख रुपए रोजाना के हिसाब से बढ़ती चली जा रही है।

स्थित अभी भी संभल सकती है

 

सरकार अगर हमारे प्रस्ताव को मान लेती है तो स्थिति संभल सकती है, वरना दुग्ध कारोबार पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। एक तरफ हम किसानों को दुग्ध कारोबार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, दूसरी तरफ इस तरह के हालात बन जाएंगे तो कौन कारोबार करेगा। - रसिक परमार, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित

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