नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनियों की सेल और डिजिटलाइजेशन के बढ़ते प्रभाव के कारण अब अक्सर लोग ऑनलाइन शॉपिंग ही करते हैं। इस दौरान ज्यादातर लोग कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन चुनते हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों की भी अधिकतर कमाई इसी तरह होती है।
लेकिन हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा एक आरटीआई के लिए दिए जवाब से आप भी हैरान हो जाएंगे। इसके अनुसार कैश ऑन डिलेवरी का विकल्प गैरकानूनी है। आरबीआई का कहना है कि कैश ऑन डिलिवरी रेगुलेटरी ग्रे एरिया हो सकता है।
एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आई जानकारी के अनुसार आरटीआई में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए, आरबीआई ने कहा एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर पेमेंट का कलेक्शन (संग्रह) अधिकृत नहीं है। इंडिया एफडीआई वॉच के धर्मेंद्र कुमार की ओर से फाइल की गई आरटीआई के जवाब में शीर्ष बैंक ने कहा, “अग्रिगेटर्स और एमेजॉन-फ्लिपकार्ट जैसी पेमेंट इंटरमीडियरीज पेमेंट्स एंड सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के तहत अधिकृत नहीं हैं।”
धर्मेंद्र कुमार की ओर से फाइल की गई आरटीआई में पूछा गया था कि क्या फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों का ग्राहकों से कैश कलेक्ट करना और उसे अपने मर्चेंट्स में बांटना क्या पेमेंट्स सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के अंतर्गत आता है?
अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन भुगतान का उल्लेख करता है, लेकिन यह कैश-ऑन-डिलीवरी के जरिए पैसा प्राप्त करने के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं करता है। आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा, “इस मामले को लेकर रिजर्व बैंक ने खास निर्देश नहीं दिए हैं।”
आपको बता दें कि कैश ऑन डिलीवरी के माध्यम से फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियां पैसा अपने ग्राहकों से इकट्ठा करती हैं और वस्तुओं की आपूति होने पर वो ऐसा थर्ड पार्टी वेंडर के जरिए करती हैं।
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