कोंडागांव. छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित जिला कोंडागांव। यहां एक गांव है हडेली। उसमें एक स्कूल है, जिसमें दो शिक्षक तैनात हैं। पर वे कभी समय पर स्कूल पहुंच नहीं पाते। उनकी गैरमौजूदगी में हडेली और आसपास के गांवों के बच्चे स्कूल आकर खेलते रहते। इसी इलाके में आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) की 41वीं बटालियन तैनात है। आईटीबीपी की पेट्रोलिंग पार्टी रोज स्कूल के बगल से निकलती और बच्चों को उधम मचाते देखती। जवानों ने सोचा क्यों न बच्चों को कुछ देर पढ़ाया जाए। अौर ये सिलसिला चल पड़ा। मामला इसी साल फरवरी का है। कमांडेंट सुरेंद्र खत्री बताते हैं कि ‘इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है। बच्चों को पढ़ाने के लिए हमने शिक्षा विभाग के अफसरों से बात की। उनकी मंजूरी मिलने के बाद जवानों को स्कूल भेजना शुरू किया। ताकि अशिक्षा का फायदा नक्सली न उठा पाएं। अब जवान रोहित नेगी, सुर्कर सिंह, सिकंदर सिंह और जगाराम यादव सुबह 10 से शाम 4 बजे तक स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं। अब तो हम बच्चों को अलग-अलग खेल भी सिखा रहे हैं।’ गांव वालों ने बताया कि अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं पहुंचता तो जवान घर आकर पता करते हैं। किसी की तबीयत बिगड़ी तो उसे कैंप ले जाकर इलाज भी करते हैं। इसके अलावा आईटीबीपी के जवान कोंडागांव में हॉकी और तीरंदाजी कैंप लगाकर बच्चों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। कुछ बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर भी चुने गए हैं।
बच्चों को डर न लगे इसलिए जवान अपने हथियार स्कूल के बाहर रखकर जाते हैं
इस साल फरवरी में जब आईटीबीपी ने हडेली गांव का स्कूल गोद लिया था तो सिर्फ 30 विद्यार्थी ही आ रहे थे। महज पांच महीने में विद्यार्थियों की संख्या 88 हो गई है। सभी बच्चे रोज स्कूल आने लगे हैं। हालांकि यहां नक्सलियों का खतरा बना रहता है, फिर भी जवान अपने हथियार कक्षा के बाहर ही रखते हैं। ताकि बच्चे डरें नहीं। ऐसे में अंदर पढ़ा रहे निहत्थे जवानों की सुरक्षा के लिए बाहर माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल के साथ आईटीबीपी के जवान खड़े रहते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि अब बच्चों को स्कूल भेजना नहीं पड़ता, वे खुद जाने के लिए तैयार रहते हैं।
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