मोदी सरकार के खिलाफ चार साल में पहला अविश्वास प्रस्ताव 199 वोटों से गिरा, 451 सदस्यों ने वोटिंग की
Sat, Jul 21, 2018 5:21 PM
विश्वास प्रस्ताव पर चली चर्चा के जवाब में नरेंद्र मोदी ने डेढ़ घंटे तक जवाब दिया
- अविश्वास प्रस्ताव तेदेपा लेकर आई थी, इसे कांग्रेस समेत 12 दलों का समर्थन था
- रात 11:15 बजे तक लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही चली
- प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी के बयानों पर हंगामा हुआ, ठहाके भी लगे
नई दिल्ली. मोदी सरकार के खिलाफ चार साल में पहली बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 199 वोटों से गिर गया। प्रस्ताव के पक्ष में 126 वोट पड़े और इसके खिलाफ 325 वोट पड़े।451 सांसदों के वोटिंग में हिस्सा लेने की स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी संख्या 226 थी। वोटिंग से पहले शुक्रवार को लोकसभा में करीब 12 घंटे चर्चा हुई। राहुल गांधी ने 48 मिनट में केंद्र और मोदी पर आरोप लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेढ़ घंटे तक चर्चा का जवाब दिया। मोदी ने फ्लोट टेस्ट को फोर्स टेस्ट बताया। प्रधानमंत्री ने कहा- ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है। कांग्रेस के तथाकथित साथियों का फोर्स टेस्ट है। मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा, इस सपने का फोर्स टेस्ट है।
वोटिंग का गणित, विपक्ष को अनुमान से 11 वोट कम मिले : शुक्रवार सुबह 18 सांसदों वाली शिवसेना ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि वह वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी। इससे 313 सांसदों वाले एनडीए का संख्याबल घटकर 295 रह गया था। हालांकि, वोटिंग के बाद सरकार के समर्थन में 325 वोट डाले गए। यानी एनडीए के अनुमान से 30 वोट ज्यादा। उधर, कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए के पास 63 सांसद थे। अन्य मोदी विरोधी दलों के सांसदों की संख्या 74 थी। इस तरह कुल 137 सांसद सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ नजर आ रहे थे। लेकिन, अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 126 वोट ही पड़े। यानी विपक्ष के अनुमान से 11 वोट कम। अविश्वास प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया के दौरान 65 सांसद ऐसे थे, जिनके दलों का रुख साफ नहीं था।
प्रधानमंत्री |
नतीजा |
वोटों का अंतर |
साल |
नेहरू |
जीते |
285 |
1963 |
वीपी सिंह |
हारे |
204 |
1990 |
नरसिम्हा राव |
जीते |
14 |
1993 |
अटल बिहारी वाजपेयी |
हारे |
1 |
1999 |
अटल बिहारी वाजपेयी |
जीते |
126 |
2003 |
* मनमोहन सिंह |
जीते |
19 |
2008 |
नरेंद्र मोदी |
जीते |
199 |
2018 |
*मनमोहन सरकार खुद प्रस्ताव लाई थी और वह विश्वास प्रस्ताव था
अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी ने कहा- नकारात्मक राजनीति सामने आई
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में मोदी ने कहा, ‘‘देश को ये भी चेहरा देखने को मिला है कि कैसी नकारात्मकता है। कैसा विकास के प्रति विरोध का भाव है। कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेरकर रखा हुआ है। उन सभी का चेहरा निखरकर, सजधजकर बाहर आया है। कइयों के मन में सवाल है कि ये प्रस्ताव लाया क्यों गया, क्योंकि न संख्या है, न समर्थन है। और सरकार को गिराने का इतना ही उतावलापन है तो मैं हैरान था कि अगर इस पर जल्दी चर्चा नहीं होती तो क्या अासमान फट जाता? क्या भूकंप आ जाता? 48 घंटे और देर करनी थी तो लाए क्यों? न मांझी, न रहबर, न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है?’’
राहुल पर तंज- उन्हें यहां पहुंचने का उत्साह था : उन्होंने कहा, ‘‘मोदी हटाओ, ये नारा है। मैं हैरान हूं, अभी तो चर्चा प्रारंभ हुई थी, मतदान नहीं हुआ था, जय-पराजय का फैसला नहीं हुआ था, फिर भी इन्हें यहां पहुंचने का उत्साह था- उठो! उठो! उठो! न यहां कोई उठा सकता है, न बैठा सकता है। सवा सौ करोड़ देशवासी ही उठा सकते हैं। लोकतंत्र में जनता पर भरोसा होना चाहिए। इतनी जल्दबाजी क्या है? हम खड़े होंगे तो प्रधानमंत्री पंद्रह मिनट तक खड़े नहीं हो पाएंगे। मैं खड़ा भी हूं और चार साल जो काम किए हैं, उस पर अड़ा भी हूं।’’
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान किसने क्या कहा?
- राहुल गांधी ने कहा- पीएम ने सिर्फ जुमले दिए : राहुल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का जुमला नंबर-1 था- हर व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख रुपए आएंगे। जुमला नंबर-2 - दो करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा। लेकिन हकीकत ये है कि सिर्फ चार लाख लोगों को रोजगार मिला। चीन 50 हजार युवाओं को 24 घंटे में रोजगार देता है। आप 400 युवाओं को ही 24 घंटे में रोजगार दे पाते हैं। ये सच्चाई है आपके जुमलों की। आप कभी कहते हैं पकौड़े बनाओ, कभी कहते हैं दुकान खोलो। आपने क्या किया? एक दिन रात आठ बजे नोटबंदी कर दी। सूरत के लोगों ने मुझसे कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें जबर्दस्त चोट मारी है।’’
- कारोबारियों से क्या रिश्ता है : ‘‘प्रधानमंत्री का कुछ कारोबारियों के साथ क्या रिश्ता है? प्रधानमंत्री की मार्केटिंग के लिए जो पैसा लगाया जाता है, वह कहां से आता है, ये सभी को पता है। ऐसे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपए का फायदा मिलता है। प्रधानमंत्री मुस्कुरा रहे हैं। अब वे मेरी आंखों में आंख डालकर नहीं देखेंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं सच बोल रहा हूं।’’
- माेदी और शाह अलग तरह के नेता : राहुल ने कहा ‘‘प्रधानमंत्री और अमित शाह, दो अलग तरह के राजनेता हैं। हमें तो सत्ता खो देने का भी दुख नहीं होता। उनके साथ ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष सत्ता से बाहर होना बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसलिए वे दोनों डर की वजह से और गुस्से की वजह से कई चीजें करते हैं। इसी कोशिश में वे हिंदुस्तान में कई आवाजों को दबा रहे हैं।’'
- आपके लिए मैं पप्पू हूं : राहुल ने कहा, ‘‘अभी जब मैं बाहर गया तो आपके (भाजपा के) कई संसद सदस्यों ने मुझसे कहा कि अाप बहुत अच्छे बोले। ये अकाली दल की नेता मुझे मुस्कराकर मुझे देख रही थीं। आप सोचोगे कि मेरे दिल में प्रधानमंत्री के खिलाफ गुस्सा और नफरत है। लेकिन मैं आपको दिल से कहता हूं कि मैं प्रधानमंत्री, भाजपा और आरएसएस का बहुत आभारी हूं कि इन्होंने मुझे कांग्रेस और हिंदुस्तानी होने का मतलब सिखाया। हिंदुस्तानी का ये मतलब है कि चाहे कोई कुछ कह दे, लाठी मारे, उसके लिए आपके दिल में प्यार होना चाहिए। आपने मुझे मेरा धर्म सिखाया, शिवजी का मतलब बताया और हिंदू होने का अर्थ बताया। आपके अंदर मेरे लिए नफरत है। आपके लिए मैं पप्पू हूं। लेकिन मेरे दिल में आपके लिए कोई क्राेध नहीं है। एक-एक करके मैं आपके अंदर के प्यार को बाहर निकालूंगा। और आप सभी को कांग्रेस में बदलूंगा।’’ यह कहने के बाद राहुल अपनी जगह से उठकर मोदी के पास गए और उन्हें गले लगा लिया।
- तेदेपा ने कहा- हम सरकार को श्राप देते हैं: तेदेपा सांसद जयदेव गल्ला ने कहा- "केंद्र सरकार ने आंध्रप्रदेश की जनता के साथ विश्वासघात किया। हम सरकार पर आरोप नहीं लगा रहे, बल्कि श्राप दे रहे हैं। अगर जनता के साथ धोखा हुआ तो बीजेपी खत्म हो जाएगी। आपने आंध्र प्रदेश को उतना पैसा नहीं दिया, जितना आपने मूर्तियों पर खर्च कर दिया।"
- भाजपा सांसद ने तेदेपा से कहा- आप पहले से श्रापित: भाजपा सांसद राकेश सिंह ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा- "गल्ला अभी कह रहे थे कि वह श्राप दे रहे हैं। हम कहते हैं कि आप तो तभी शापित हो गए, जब आप कांग्रेस के साथ खड़े हुए थे।"
- लोकतंत्र में विपक्ष की अहमियत: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- "30 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अटलजी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि हम दो और हमारे दो। व्यक्ति के मन में कभी अहंकार नहीं आना चाहिए। भाजपा दो सीटों से बहुमत तक पहुंची। 15 साल पहले भी कांग्रेस अटलजी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी। प्रधानमंत्री पर पूरे देश को विश्वास है। सरकार के पास जनता का समर्थन है, इसलिए उसे चलने देना चाहिए। 10 साल कांग्रेस की सरकार रही, पर हमने एक बार भी ऐसी कोशिश नहीं की। ये अविश्वास प्रस्ताव कई पार्टियों को मिलकर लाना पड़ा, जो पार्टियां इसका समर्थन कर रही हैं, उनको भी एक दूसरे पर विश्वास नहीं है।''
- कौरवों में संख्या बल, पांडवों में सच की शक्ति : तृणमूल कांग्रेस के सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने कहा, "भाजपा राम के नाम पर भी मोनोपॉली करना चाहती है। मैं पूछना चाहता हूं कि राम कहां नहीं हैं। कण-कण में राम हैं, हर एक के दिल में राम हैं। कौन ऐसा है, जिसके दिल में राम नहीं हैं। कौरवों के पास संख्याबल था, लेकिन पांडवों के पास सच की ताकत थी।"
- जनता को झूठे सपने दिखाए : कांग्रेस सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "कालाधन कब वापस आएगा, 15 लाख कब खातों में पहुंचेंगे, 2 करोड़ युवाओं को रोजगार कब मिलेगा। इस सरकार ने चुनाव जीतने के लिए झूठे वादे किए हैं। जनता के साथ धोखा किया है।"
- बैंकों को चूना लगाने वाले भगोड़े हो रहे हैं, पढ़े-लिखे युवाओं के सपने पकौड़े हो रहे हैं: आप सदस्य भगवंत मान ने स्पीच के अंत में कविता पढ़ी, "बात चली थी भारत को डिजिटल इंडिया बनाने से, बात चली थी एक के बदले 10 सर काटकर लाने से। बात चली थी बुलेट ट्रेन चलाने से, बात चली थी 56 इंच का सीना दिखाने से। बात चली थी ना खाने से ना खिलाने से, कहां गई वो सौ दिन में कालेधन की बात, पिछले 4 साल से देश की जनता रेडियो पर सुन रही है सिर्फ मन की बात। चौकीदार देख रहा है और लोग बैंकों को चूना लगाकर भगोड़े हो रहे हैं और लाखों पढ़े-लिखे लड़कों के सपने पकौड़े हो रहे हैं। अब तक साहब के ऑफिस से मेन्यू बनकर आता है कि हमें क्या पहनना है और हम क्या खाने वाले हैं। मोदी जी अगले 6-7 महीने में आप जाने वाले हैं, जाते-जाते ही बता दीजिए अच्छे दिन कब आने वाले हैं?"
- हिंदू-मुस्लिम के नाम पर फैल रही नफरतें मिटनी चाहिए : नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य फारुख अब्दुल्ला ने कहा, "मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मुसलमानों पर शक मत करिए। मुसलमान उतना ही हिंदुस्तानी है, जितना आप हैं। नोटबंदी के बाद कहा गया कि पत्थरबाजी
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