Monday, 26th May 2025

गालियां देना हो तो मोदी को दीजिए, सेना को नहीं: राहुल के जुमला स्ट्राइक के बयान पर मोदी

Sat, Jul 21, 2018 4:35 AM

- मोदी ने कहा- मैं खड़ा भी हूं और चार साल जो काम किए हैं, उस पर अड़ा हूं

 

 

नई दिल्ली.  केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में दिनभर चली करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया। मोदी ने कहा- ये अविश्वास प्रस्ताव एक प्रकार से हमारे लोकतंत्र की शक्ति का परिचायक है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पर इतनी जल्दी चर्चा पर मैं हैरान था। प्रधानमंत्री ने शेर पढ़ा- न मांझी, न रहबर, न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है? प्रधानमंत्री ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं, कांग्रेस का फोर्स टेस्ट है। राहुल के जुमला स्ट्राइक वाले बयान पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गाली देनी हो तो मोदी को दीजिए, सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कहना देश स्वीकार नहीं करेगा।

मोदी ने कहा, "भले ही प्रस्ताव टीडीपी के माध्यम से यह प्रस्ताव आया हो, लेकिन उनके साथ जुड़े हुए कुछ माननीय सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए बातें कहीं। मैं आग्रह करूंगा कि हम सभी इस प्रस्ताव को खारिज करें और तीस साल के बाद देश में पूर्ण बहुमत के साथ बनी हुई सरकार ने जिस गति से काम किया, उस पर फिर से विश्वास प्रकट करें।"

 

सज-धजकर चेहरा बाहर आया, ये कैसा सफर है : मोदी ने कहा, ‘‘देश को ये भी चेहरा देखने को मिला है कि कैसी नकारात्मकता है। कैसा विकास के प्रति विरोध का भाव है। कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेरकर रखा हुआ है। उन सभी का चेहरा निखरकर, सजधजकर बाहर आया है। कइयों के मन में सवाल है कि ये प्रस्ताव लाया क्यों गया, क्योंकि न संख्या है, न समर्थन है। और सरकार को गिराने का इतना ही उतावलापन है तो मैं हैरान था कि अगर इस पर जल्दी चर्चा नहीं होती तो क्या अासमान फट जाता? क्या भूकंप आ जाता? 48 घंटे और देर करनी थी तो लाए क्यों? न मांझी, न रहबर, न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है?’’

 

राहुल पर तंज- उन्हें यहां पहुंचने का उत्साह था : उन्होंने कहा, ‘‘मोदी हटाओ, ये नारा है। मैं हैरान हूं, अभी तो चर्चा प्रारंभ हुई थी, मतदान नहीं हुआ था, जय-पराजय का फैसला नहीं हुआ था, फिर भी इन्हें यहां पहुंचने का उत्साह था- उठो! उठो! उठो! न यहां कोई उठा सकता है, न बैठा सकता है। सवा सौ करोड़ देशवासी ही उठा सकते हैं। लोकतंत्र में जनता पर भरोसा होना चाहिए। इतनी जल्दबाजी क्या है? हम खड़े होंगे तो प्रधानमंत्री पंद्रह मिनट तक खड़े नहीं हो पाएंगे। मैं खड़ा भी हूं और चार साल जो काम किए हैं, उस पर अड़ा भी हूं।’’

 

राहुल की पीएम उम्मीदवारी पर चुटकी: प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अहंकार करते हैं कि 2019 में सत्ता में आने नहीं देंगे। जो लोगों में विश्वास नहीं करते और खुद को भाग्य विधाता मानते हैं, उनके मुंह से ऐसे शब्द अच्छे नहीं लगते। लोकतंत्र में जनता ही भाग्य विधाता होती है। 2019 में अगर कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनती है तो मैं बनूंगा प्रधानमंत्री। लेकिन, दूसरों की भी ढेर सारी ख्वाहिशें हैं, उनका क्या होगा। उस बारे में कन्फ्यूजन है। ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है। कांग्रेस के तथाकथित साथियों का फोर्स टेस्ट है। मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा, इस सपने का फ्लोर टेस्ट है। अपना कुनबा न बिखर जाए, इसकी चिंता पड़ी है। एक मोदी को हटाने के लिए सभी को इकट्ठा करने का प्रयास हो रहा है। मेरी कांग्रेस के साथियों को सलाह है, जब भी अगर आपको अपने संभावित साथियों की परीक्षा लेनी है तो जरूर लीजिए, लेकिन कम से कम अविश्वास प्रस्ताव का बहाना तो ना बनाइए। जितना अविश्वास वो सरकार पर करती है, कम से कम उतना विश्वास अपने संभावित साथियों पर तो करिए।’’

 

वोटबैंक की राजनीति किए बिना, विकास के लिए काम किया : मोदी ने कहा, ‘‘स्वार्थ सिद्धि के लिए देशवासियों पर कम से कम अविश्वास न करें। बिना तुष्टिकरण किए, बिना वोट बैंक की राजनीति किए, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर हम काम करते रहे हैं। पिछले चार वर्ष में उस वर्ग और क्षेत्र के लिए काम हुआ, जिसके पास चमक-धमक नहीं थी। जब 18 हजार गांवों में बिजली पहुंची तो ये काम पहले भी सरकारें कर सकती थीं। लेकिन, इन 18 हजार गांवों में 15 हजार गांव पूर्वी भारत के थे। पांच हजार गांव पूर्वोत्तर के हैं। इन इलाकों में कौन रहता है, हमारे दलित, हमारे गरीब। ये नहीं करते थे, क्योंकि इनके वोट के गणित में फिट नहीं होता था। उनका इस आबादी पर विश्वास नहीं था। उसी कारण नॉर्थ-ईस्ट को अलग-थलग कर दिया गया। हमने सिर्फ इन गांवों में बिजली नहीं पहुंचाई, बल्कि कनेक्टिविटी के हर मामले में तेजी से काम किया।’’

 

विशेषाधिकार जनाधिकार में बदला तो बुखार आ गया : प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस को खुद पर अविश्वास है। ये अविश्वास पर घिरे हुए हैं। उनकी ऐसी कार्यशैली उनके सांस्कृतिक जीवन का इतिहास है। स्वच्छ भारत में विश्वास नहीं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी विश्वास नहीं। देश के मुख्य न्यायाधीश, रिजर्व बैंक, अर्थव्यवस्था के आंकड़े देने वाली संस्था, देश के पासपोर्ट की बढ़ती ताकत पर भी उन्हें विश्वास नहीं। चुनाव आयोग, ईवीएम पर विश्वास नहीं। ये अविश्वास क्यों बढ़ गया? जब कुछ मुट्ठीभर लोग अपना ही विशेष अधिकार मानते थे, जब वह जनाधिकार में परिवर्तित हुआ तो बुखार चढ़ने लगा।’’

 

भगवान इतनी शक्ति दे कि 2024 में आप फिर अविश्वास प्रस्ताव लाएं :  उन्होंने कहा, ‘‘आजकल शिव भक्ति की बात हो रही है। मैं भी भगवान शिव से प्रार्थना करता हूं। आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में फिर से आप अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। यहां पर डोकलाम की चर्चा हुई। मैं मानता हूं कि जिस विषय की जानकारी नहीं है। कभी-कभी उस पर बोलने से बात उल्टी पड़ जाती है। उससे व्यक्ति का नुकसान कम, देश का नुकसान ज्यादा होता है। हमें घटनाक्रम याद रहना चाहिए। जब सारा देश, सारा तंत्र एकजुट होकर डोकलाम के विषय पर अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभाल रहा था, तब वे चीन के राजदूत के साथ बैठते हैं और बाद में कभी ना तो कभी हां। जैसे नाटकीय ढंग से चल रहा था। कोई कहता था मिले, कोई कहता था नहीं मिले। कांग्रेस प्रवक्ता ने तो पहले साफ मना किया कि उनके नेता चीनी राजदूत से नहीं मिले। लेकिन, एक प्रेस विज्ञप्ति आ गई। फिर कांग्रेस बोलने को मजबूर हो गई कि हां मुलाकात हुई थी।’’

 

कब तक बचकाना करते रहेंगे : ‘‘यहां राफेल डील पर बात हुई। क्या सत्य को इस तरह कुचला जा सकता है? बार-बार चीख-चीखकर गुमराह करने का काम? ये देश कभी माफ नहीं करेगा। ये दुखद है कि इस सदन में लगाए गए आरोप है कि दोेनों देश को बयान जारी करना पड़ा और खंडन करना पड़ा। क्या ऐसी बचकाना हरकत हम करते रहेंगे क्या? कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? बिना सबूत के चिल्लाते रहोगे? हर बार जनता ने आपको जवाब दिया। सुधरने का मौका दिया है, सुधरने की कोशिश कीजिए। ये समझौता दो देशों के बीच हुआ है। ये दो व्यापारियों के बीच नहीं हुआ है। पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। क्या हर जगह बचकाना हरकत करते रहोगे?’’

 

जवानों का अपमान मत कीजिए:  मोदी ने कहा, ‘‘नामदार से मैं प्रार्थना ही कर सकता हूं। देश के सेनाध्यक्ष के लिए भी खराब भाषा का प्रयोग किया गया। जो देश के लिए मर मिटने के लिए निकले हैं, उस सेना के जवानों के पराक्रम को स्वीकारने का आपमें सामर्थ्य नहीं होगा। सर्जिकल स्ट्राइक को आप जुमला स्ट्राइक बोलें, ये मंजूर नहीं होगा। आपको गाली देनी है तो मोदी को दीजिए। देश के लिए मर-मिटने वाले जवानों के लिए ऐसा मत कहिए।’’

 

अटलजी की सरकार एक वोट से गिर गई थी : ‘‘अविश्वास कांग्रेस की फितरत है। ये बयान दिया गया कि कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है। ये अहंकार नहीं है? मैं इस सदन को 1999 याद दिलाना चाहता हूं। ये दावा किया गया था कि हमारे साथ 272 की संख्या है। अटलजी की सरकार को एक वोट से गिरा दिया। लेकिन, 272 सीटों का दावा खोखला निकला और देश को चुनाव में जाना पड़ा। 1979 में किसान नेता चौधरी चरण सिंह को पहले समर्थन का बल दिया, फिर वापस ले लिया। कांग्रेस ने कैसे दो-दो बार विश्वास को खरीदने का काम किया। वोट के बदले नोट का खेल कौन नहीं जानता।’’

 

हम तो कामदार हैं, नामदार नहीं : मोदी ने कहा, ‘‘यहां कहा गया कि प्रधानमंत्री अपनी आंख मेरी आंख में नहीं डाल सकते। सही है। हम कौन होते हैं, जो आपकी आंख में आंख डाल सकते हैं। आप तो नामदार हैं। हम कामदार हैं। हम तो गरीब परिवार के बेटे हैं। इतिहास गवाह है सुभाष चंद्र बोस ने कभी आंख में आंख डालने की कोशिश की तो क्या किया गया। मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, चंद्रशेखरजी, प्रणब मुखर्जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की, क्या किया गया? इतना ही नहीं, हमारे शरद पवारजी ने आंख में आंख डालने की कोशिश तो क्या किया था? मैं सारा कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख सकता हूं।’’

 

आंखों की हरकतें आज देश ने देख लीं : प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतों को आज पूरे देश ने टीवी पर देख लिया। कैसे आंख खोली जा रही है, कैसे बंद की जा रही है? सत्य को आज बार-बार कुचला गया। यहां कहा गया कि कांग्रेस ही जीएसटी को लाई। अपने परिवार के इतिहास के बाहर भी तो कांग्रेस और उसकी सरकारों का इतिहास है। जब यूपीए सरकार थी, तब पेट्रोलियम को बाहर रखने का निर्णय आपने किया था।’’

 

हां हम भागीदार हैं : मोदी ने कहा, ‘‘आज यहां ये भी कहा गया कि आप चौकीदार नहीं, भागीदार हैं। मैं गर्व से कहना चाहता हूं हम चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन न हम सौदागर हैं, न ठेकेदार हैं। हम देश के किसानों, गरीबों की पीड़ा के भागीदार हैं। हम देश के सपनों के भागीदार हैं। हम भागीदार हैं और भागीदार रहेंगे। कांग्रेस का एक ही मंत्र है। या तो हम रहेंगे, नहीं रहे तो देश में अफवाहों का साम्राज्य रहेगा। अफवाहें उड़ाई जाती हैं। टेक्नोलॉजी भी अवेलेबल है। ये लोग इमोशनल ब्लैकमेल करके राजनीति करते हैं। उसी का कारण है देश का तबका सशक्तिकरण से वंचित रहा।’’

 

अर्थ-अनर्थ में उलझे चिदंबरम की बात कुछ विद्वानों को समझ में नहीं आई : मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस जमीन से कट चुकी है। वो तो डूबे हैं। हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे। यही उनके साथियों का हाल होगा। अपने आप को बहुत बड़ा विद्वान मानने वाले एक व्यक्ति ने यह बात कही थी कि कांग्रेस पार्टी अलग-अलग राज्यों में क्यों और कैसे कमजोर हो गई, मैं एक ऐसे राज्य से आता हूं, जहां इस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो गया है। क्यों? कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पाई कि सत्ता अब उच्च वर्ग, साधन संपन्न वर्ग से निकलकर गांव-देहात के लोगों और सोशल ऑर्डर में सबसे नीचे मौजूद, जिनके पास आमदनी नहीं, जिनकी आवाज सुनी नहीं गई, उन तक पहुंची है। जैसे-जैसे पावर नीचे की तरफ चलती गई, वैसे-वैसे अनेक राज्यों में कांग्रेस का प्रभाव खत्म हो गया। ये कोट 1997 का है। ये अर्थ और अनर्थ में उलझे आपके श्रीमान चिदंबरमजी का वाक्य है। कुछ विद्वानों को शायद यह बात समझ नहीं आई होगी।’’

 

मुसीबतें छोड़ना आपकी आदत है : मोदी ने कहा, ‘‘जब आंध्र और तेलंगाना का विभाजन हुआ था, तब मैंने कहा था कि तेलुगू हमारी मां है, उसे टूटने नहीं देना चाहिए। लेकिन मां को छोड़कर बच्चे को बचा लिया गया। 2014 में आप ये मुसीबत छोड़कर गए थे। आपने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया, आज तक मुसीबतें झेल रहे हैं। ये आपकी आदत है। आपने कुछ नहीं सोचा। मुझे बराबर याद है कि चंद्रबाबू नायडू और केसी राव का कुछ पहले साल बंटवारे को लेकर झगड़ा होता था। उस समय तेदेपा की पूरी ताकत तेलंगाना में लगी रही। टीआरएस ने परिपक्वता दिखाई। संसाधनों का विवाद आज भी चल रहा है।’’

 

तेदेपा ने विफलता छुपाने के लिए एनडीए छोड़ी : प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वयं एक पैकेज को स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री का धन्यवाद दिया था। हम हर कमिटमेंट को पूरा करना चाहते थे। लेकिन, तेदेपा ने अपनी विफलता छुपाने के लिए एनडीए छोड़ने का फैसला किया। मैंने उस वक्त खुद चंद्रबाबू नायडू को फोन किया था। मैंने उनसे कहा था कि आप वाईएसआर के जाल में फंस रहे हो। आप वहां की स्पर्धा में किसी हालत में बच नहीं पाओगे। झगड़ा वहां का है, उपयोग सदन का हो रहा है। आंध्र की जनता भी इस अवसरवादिता को देख रही है। कोई भी विशेष पैकेज देते हैं तो उसका प्रभाव दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ता है। इसी सदन में तीन साल पहले वीरप्पा मोइली ने कहा था कि आप इस तरह कैसे दो राज्यों के बीच असामनता ला सकते हैं?’’

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