Monday, 26th May 2025

अविश्वास प्रस्ताव पर बीजद, शिवसेना वोटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे, फिर भी सरकार के पास पर्याप्त बहुमत

Fri, Jul 20, 2018 6:41 PM

तेदेपा और कांग्रेस ने बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे लोकसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिया था

  • शिवसेना ने पहले व्हिप जारी कर दिया था, लेकिन अब कहा कि हम वोटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे 
  • यूपीए और मोदी विरोधी दलों की कुल सीटें 137, भाजपा के पास 274 सीटें

 

नई दिल्ली.  मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई। एनडीए में भाजपा के बाद सबसे बड़े सहयोगी दल शिवसेना (18 सांसद) ने यू-टर्न ले लिया। एक दिन पहले अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी करने के बाद शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि वह वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लेगी। उधर, 19 सांसदों वाले बीजू जनता दल ने भी कहा कि यूपीए और एनडीए की सरकारों ने कुछ नहीं किया, इसलिए हम वॉकआउट करते हैं। इन दोनों दलों के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने पर लोकसभा में सदस्यों की संख्या 497 रहेगी। बहुमत के लिए 249 वोट जरूरी होंगे। अकेले भाजपा के पास 274 सांसद हैं।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हर पार्टी को 30 मिनट का समय मिलना चाहिए था। सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को बोलने के लिए महज 38 मिनट मिले हैं। 130 करोड़ लोगों की समस्याओं और सरकार की गलतियों को उजागर करने के लिए क्या इतना समय काफी है? हालांकि, स्पीकर सुमित्रा महाजन ने साफ किया कि लोकसभा में आज शाम 6 बजे ही वोटिंग हाेगी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत तेदेपा सांसद जयदेव गल्ला ने की। उन्होंने कहा कि केंद्र ने आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा पूरा नहीं किया। 

 

मोदी ने कहा- देश की नजरें संसद पर : चर्चा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ''आज हमारे संसदीय लोकतंत्र का अहम दिन है। मुझे साथी सांसदों पर भरोसा है कि वे इस मौके पर आगे आएंगे और बिना गतिरोध के सकारात्मक और विस्तृत चर्चा को आगे बढ़ाएंगे। हम देश की जनता और संविधान निर्माताओं के कर्जदार हैं। पूरे देश की नजरें हम पर रहेंगी।''

सरकार ने कहा- भूकंप कांग्रेस में आएगा : केंद्रीय संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा- ‘"राहुल जी ने एक बार कहा था कि वे बोलेंगे तो संसद में भूकंप आएगा। भूकंप जरूर आएगा, लेकिन वह कांग्रेस में आएगा। एनडीए सरकार को उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिलेगा।’’

लोकसभा में यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव :  लोकसभा में इससे पहले कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं। शुक्रवार को 27वें प्रस्ताव पर चर्चा होगी। पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी ने पेश किया था। इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रिकॉर्ड 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे। 1990 में वीपी सिंह, 1997 में देवेगौड़ा, 1999 में वाजपेयी फ्लोर टेस्ट हारे। इस तरह तीन मौकों पर वोटिंग के बाद सरकारें गिर गईं। 

सबसे कम वोट से हारे थे वाजपेयी : एनडीए सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1999 में आया। तब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी। वाजपेयी पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो इतने कम अंतर से हारे। 1996 में भी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 2003 में कांग्रेस ने एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, तब वाजपेयी के पास पर्याप्त बहुमत था।

यूपीए सरकार खुद लाई थी प्रस्ताव : 2008 में एटमी डील के वक्त वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया। उस वक्त यूपीए सरकार ने खुद विश्वास प्रस्ताव पेश किया और लोकसभा में हुई वोटिंग में मनमोहन सिंह को 19 वोटों से जीत मिली थी। 

 

लोकसभा में वोटों का गणित

सीटें: लोकसभा की कुल संख्या 545, नॉमिनेटेड 2, खाली 11

मौजूदा संख्या:  534

शिवसेना (18) और बीजद (19) अगर वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं तो कुल संख्या : 497

बहुमत के लिए जरूरी : 249

 

 

एनडीए के कुल सांसदों की संख्या 295 

दल सीटें
भाजपा  274*
शिवसेना 18 (वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी)
लोजपा  06
अकाली दल  04 
रालोसपा  03 
जेडीयू  02 
अपना दल  02 
एनपीपी 01 
एनडीपीपी  01
एसडीएफ 

01

एआईएनआरसी 01
कुल 313 (शिवसेना के हिस्सा नहीं लेने पर संख्या: 295)

(* भाजपा की संख्या में दो नॉमिनेटेड सदस्य और स्पीकर शामिल हैं)

 

यूपीए और बाकी विरोधी दल 

दल सीटें
कांग्रेस 48
राकांपा 7
राजद 4
आईयूएमएल  2
जेडीएस 1
रालोद 1
यूपीए की कुल संख्या 63
तृणमूल 34
तेदेपा 18
लेफ्ट 11
सपा 7
आप 4
बाकी मोदी विरोधी दल 74
यूपीए+मोदी विरोधी दल 137

इन दलों का रुख साफ नहीं

दल सीटें
अन्नाद्रमुक 37
टीआरएस  11
अन्य 17
कुल  65

 

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