- 25 साल के इकापोल ने बच्चों के माता-पिता को चिट्ठी लिखकर माफी मांगी थी
- बच्चों के घरवालों ने कहा- इकापोल से हमें कोई शिकायत नहीं, हम उसके शुक्रगुजार
बैंकॉक. थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा से बाहर आए बच्चों ने उन 9 दिनों की कहानी बताई, जब गुफा में कोई बचाव दल नहीं पहुंचा था। उन्होंने बताया कि कोच इकापोल चांटावांग (25) ने हमारी जिंदगी बचाने के लिए अपना खाना तक दे दिया। कोच बनने से पहले इकापोल साधु थे। इस गुफा से 16 दिन बाद रविवार को 4 बच्चों को निकाला गया था। इसके बाद सोमवार को 4 और बच्चों को निकाला गया। अब गुफा में 4 बच्चे और इकापोल फंसे हुए हैं।
बच्चों के मुताबिक, "गुफा में फंसने के बाद हमारे पास खाने का काफी कम सामान था। ऐसे में कोच ने उसमें से भी अपना हिस्सा हम सभी को बांट दिया। उन्होंने हमें शरीर की ऊर्जा बचाने के तरीके सिखाए। गुफा में रहने के दौरान वे हमारी हिम्मत बढ़ाते रहे। वे कहते रहे कि हमें स्थिति के हिसाब से खुद को ढालना होगा।" बचाव दल के कर्मचारियों ने बताया था कि जब वे गुफा में बच्चों के पास पहुंचे तो उनका कोच सबसे ज्यादा कमजोर नजर आ रहा था।
'खुद को दोष मत दो इकापोल': एक बच्चे की मां पोरनचाई खमलुआंग ने कहा, "इकापोल बच्चों के लिए भगवान बन गया। अगर वह उनके साथ गुफा में नहीं जाता तो पता नहीं क्या होता। जब वह बाहर आएगा तो मैं उसे बहुत धन्यवाद दूंगी। मेरे प्यारे इकापोल, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।" वहीं, एक अन्य बच्चे अब्दुल सैम-ऑन के घरवालों ने कहा कि इकापोल तुम खुद को दोष मत दो। इस घटना में तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं। हम तब तक इंतजार करेंगे, जब तक तुम बाहर नहीं आ जाते। कोच ने बच्चों के घरवालों को चिट्ठी लिखकर इस घटना के लिए माफी मांगी थी।
बचपन में अनाथ हो गया था इकापोल:कोच के दोस्तों ने बताया कि उसने 10 साल की उम्र में इकापोल ने अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद उन्हें साधु बनने की शिक्षा मिली। हालांकि उसने अपनी बीमार दादी की सेवा करने के लिए करीब 3 साल पहले मठ छोड़ दिया। इसके बाद इकापोल ने मू पा फुटबॉल टीम को बतौर सहायक कोच जॉइन कर लिया।
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