Monday, 26th May 2025

मेरे विदाई समारोह में पीएम की टिप्पणी परंपरा के विपरीत : अंसारी

Mon, Jul 9, 2018 9:44 PM

नई दिल्ली। एक साल पहले अपने विदाई समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में खुद पर की गई टिप्पणी से पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी आहत हैं। इसका उल्लेख उन्होंने अपनी नई किताब में करते हुए कहा है कि वह पीएम की टिप्पणियों को परंपराओं के विपरीत मानते हैं। 10 अगस्त, 2017 अंसारी का बतौर उप राष्ट्रपति (2007-2017) दूसरे कार्यकाल और राज्यसभा के सभापति का अंतिम दिन था। राजनीतिक दलों के नेता और सदस्य परंपरा को निभाते हुए सभापति को धन्यवाद दे रहे थे।

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि उस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की और अपने ही अंदाज में तारीफों के बीच कुछ मुद्दों पर मेरे रुख को लेकर कुछ संकेत दिए। उन्होंने मुस्लिम देशों में बतौर राजनयिक मेरे कार्यकाल और सेवानिवृत्ति के बाद अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर मेरे लिए टीका-टिप्पणी की थी। निश्चित रूप से उनके भाषण में इन बातों का उल्लेख बेंगलुरु में मेरे भाषण और राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू को लेकर था। उसमें मैंने कहा था कि मुसलमानों और कुछ अन्य अल्पसंख्यक समुदायों में बेचैनी बढ़ी है।

 

उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्ति से पहले अपने आखिरी इंटरव्यू में अंसारी ने कहा था कि देश के मुसलमान बेचैनी का अनुभव कर रहे हैं। हामिद अंसारी ने अपनी नई किताब "डेयर आई क्वेश्चन" में बताया है कि उनके इस बयान से सोशल मीडिया पर "वफादारों" ने मायने निकालने शुरू कर दिए थे। दूसरी ओर, कई अखबारों के संपादकीय और ऐसे कई गंभीर अच्छे लेखनों में कहा गया कि पीएम का बयान ऐसे मौकों पर स्वीकार्य परंपरा के विपरीत था।

उन्होंने उर्दू में एक लाइन बोली थी- "भरी बज्म में राज की बात कह दी।" इसका मतलब है अब तक छिपी बात को सार्वजनिक कर दिया गया है। हामिद अंसारी का यह भी मानना है कि बहुसंख्यकों में स्वीकार्य राष्ट्रवाद के विचार और भारतीय को अब एक विचारधारा से चुनौती मिल रही है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार के जरिए विशिष्टता के शुद्धिकरण का चित्रण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार में संस्कृति को बहुत संकीणर्ता से परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद पर बहस का भारतीय लोकतंत्र पर व्यापक असर हुआ है।

 

मोदी ने कहा था

पिछले दस सालों में आपकी जिम्मेदारी बदली है और आपको खुद को केवल संविधान तक सीमित रखना पड़ा है। इससे आप अंदर ही अंदर आंदोलित हुए होंगे। लेकिन आज से आपको मन की बात बोलने की आजादी होगी। अब से आप अपनी सोच के मुख्य दायरे के आधार पर सोच, बोल और काम कर सकते हैं।-आपने कई जिम्मेदारियां निभाई हैं और आप "खास" दायरे में रहे हैं। इसीलिए आपकी कुछ खास राय और देखने का नजरिया है।

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