बैंगलुरू। आज देश की अदालतों में करोड़ों केस पेंडिंग है। न्याय की बाट जोह रहे लोगों के लिए बैंगलुरू का ये केस मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि 11 दिन के ट्रायल के भीतर ही कर्नाटक की एक कोर्ट ने 75 साल के एक शख्स को अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई दी।
चित्रदुर्ग के रहने वाले चेन्नाबसईया नाम के शख्स ने 27 जून को अपनी 65 साल की पत्नी पुत्तमा की चरित्र शंका की वजह से हत्या कर दी थी। पड़ोसियों ने आनन-फानन में पास के पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दी और पुलिस ने तेजी दिखाते हुए पति चेन्नाबसईयो को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया। शुरू में तो पति ने पत्नी की हत्या से सीधे इंकार कर दिया, मगर सख्ती से जब पूछताछ की गई तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
दो दिन के भीतर ही जांच अधिकारी ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। वहीं कर्नाटक की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री ने भी एक दिन के भीतर ही अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी। सरकारी वकील बी जयराम चित्रदुर्ग के मुख्य जिला और सेशंस जज की कोर्ट में पीड़िता की तरफ से पेश हुए और उन्होंने आरोपी को सख्त सजा देने की मांग की। एक दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीस जून को अपना फैसला सुना दिया।
इस मामले में चित्रदुर्ग के एसपी श्रीनिवास जोशी ने जांच टीम की जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा कि, "हमने एक उदाहरण पेश किया है कि कैसे तेजी से केस का निराकरण हो सकता है।"
11 दिन के भीतर आए इस ऐतिहासिक फैसले की हर तरफ तारीफ हो रही है। पूर्व लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े ने कहा कि, "भारतीय न्याय व्यवस्था में एक फैसला ऐतिहासिक है, स्थानीय अदालतों में सामान्य मुकदमे दस साल से ज्यादा चलते हैं, ऊपरी अदालतों तक पहुंचने में और देरी हो जाती है। ऐसे में आपराधिक मामलों में तेजी से हुए ट्रायल की वजह से जो न्याय मिला है, उससे जनता का विश्वास जागेगा।"
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा के मुताबिक देश की अलग-अलग अदालतों में 22,76, 757 केस पिछले 10 साल से पेंडिंग हैं। वहीं पांच से दस साल के बीच मुकदमों के पेंडिंग रहने की संख्या भी हैरान करने वाली है। देश में ऐसे पेंडिंग केस की संख्या 44,12,922 है।
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