Monday, 26th May 2025

टाटा सन्स के खिलाफ मिस्त्री की अर्जी खारिज, ट्रिब्यूनल ने कहा- बोर्ड मेंबर्स का भरोसा खो चुके थे सायरस

Mon, Jul 9, 2018 8:52 PM

सायरस मिस्त्री ने आरोप लगाए कि रतन टाटा के दखल की वजह से टाटा सन्स को नुकसान हुआ।

 तीन साल की खोज के बाद सायरस 28 दिसंबर 2012 को टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे
- 24 अक्टूबर 2016 को सायरस को हटाया गया, इसके खिलाफ उन्होंने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की

- नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के फैसले को मिस्त्री अपीलीय ट्रिब्यूनल में चुनौती देंगे
- एन चंद्रशेखरन अभी टाटा सन्स के चेयरमैन हैं


मुंबई. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने टाटा सन्स के खिलाफ सायरस मिस्त्री की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मिस्त्री ने दो साल पहले उन्हें टाटा के चेयरमैन पद से हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए यह याचिका दायर की थी। ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘‘टाटा सन्स के बोर्ड के फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं है। सायरस 24 अक्टूबर 2016 को चेयरमैन पद से इसलिए हटाए गए क्योंकि वे बोर्ड मेंबर्स का भरोसा खो चुके थे।’’ मिस्त्री इस फैसले को नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चुनौती देंगे। मिस्त्री के ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, "हम टाटा सन्स के प्रबंधन में सुधार और शेयरधारकों के हितों के लिए लड़ते रहेंगे। आगे टीटीएसएल, एयर एशिया, कारोबारी सी शिवशंकरन से बकाया की वसूली, घाटे में चल रही टाटा नैनो और टाटा स्टील यूरोप समेत दूसरे गंभीर मामले उठाए जाएंगे।


ट्रिब्यूनल की मुंबई स्थित मुख्य बेंच ने फैसले में कहा, ‘‘मिस्त्री के इस दावे का कोई आधार नहीं है कि उन्हें टाटा सन्स बोर्ड के गलत प्रबंधन और अल्पसंख्यक शेयरधारकों की अनदेखी करते हुए हटाया गया। मिस्त्री को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने कंपनी से जुड़ी अहम सूचनाएं आयकर विभाग को भेज दीं। उन्होंने मीडिया में जानकारी लीक की और कंपनी के शेयरधारकों और बोर्ड के खिलाफ खुलकर सामने आ गए। टाटा सन्स बोर्ड के ज्यादातर सदस्यों का उन पर भरोसा खत्म हो चुका था।'’

मिस्त्री ने रतन टाटा के दखल का आरोप लगाया : मिस्त्री ने दिसंबर 2016 में ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि टाटा ट्रस्ट के प्रमुख रतन टाटा के दखल की वजह से ग्रुप में गलत फैसले लिए गए। अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की अनदेखी की गई। मिस्त्री ने खुद को निकाले जाने के बाद नियमों में बदलाव का आरोप लगाया और कहा कि बदलावों की वजह से वे अपने शेयर नहीं बेच पाए।

मिस्त्री के 3 आरोप और टाटा ग्रुप का जवाब

सायरस के आरोप टाटा ग्रुप के जवाब
चेयरमैन पद से हटाने का फैसला आम सहमति से नहीं हुआ। 8 बोर्ड मेंबर्स मीटिंग में थे। 6 ने मिस्त्री को हटाने के फेवर में वोट किया।
मुझे कागजी चेयरमैन बनाकर रखा गया था। जबकि अप्वाइंटमेंट्स से पहले ही मैंने कह दिया था कि मुझे फ्री हैंड देना होगा। मिस्‍त्री के पास ग्रुप को लीड करने की पूरी आजादी थी।
नैनो प्रोजेक्ट में 1000 करोड़ का घाटा हुआ लेकिन मैंने 5 कंपनियों का प्रॉफिट 1.96 लाख करोड़ बढ़ाया। फिर भी मुझे कमजोर किया जाता रहा। मिस्त्री ने कई मुद्दों पर बोर्ड का भरोसा खो दिया था। अपने कार्यकाल में सायरस ने कई बार ग्रुप की परंपराएं तोड़ीं। यह टाटा की संस्कृति और नैतिक मूल्यों के खिलाफ था।

शापूरजी ग्रुप के एमडी थे मिस्त्री : सायरस, पालोनजी मिस्त्री के बेटे हैं। शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी सायरस ही थे। इसके साथ ही 2006 से टाटा के बोर्ड में डायरेक्‍टर थे। तीन साल की खोज के बाद 28 दिसंबर 2012 को सायरस को रतन टाटा की जगह टाटा ग्रुप का छठा चेयरमैन बनाया गया था। 2014-15 में टाटा ग्रुप का टर्न ओवर 108 अरब डॉलर था, जो 2015-16 में घटकर 103 अरब डॉलर रह गया। इसे भी मिस्त्री को हटाए जाने की बड़ी वजह माना गया था। यह भी कहा जा रहा था कि टाटा संस अपने ग्रुप की नॉन-प्रॉफिट बिजनेस वाली कंपनियों से ध्यान हटाने की मिस्त्री की सोच से नाखुश थी।

टाटा-मिस्त्री विवाद : 21 महीने के दौरान कब-क्या हुआ?

24 अक्टूबर 2016 सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाया, रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बनाए गए।
25 अक्टूबर 2016 मिस्त्री ने टाटा सन्स बोर्ड को चिट्ठी लिखी, टाटा ट्रस्ट के प्रबंधन पर दखल का आरोप लगाया।
19 दिसंबर 2016 मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दिया।
20 दिसंबर 2016 सायरस मिस्त्री ने एनसीएलटी में याचिका दायर की, टाटा सन्स पर गलत प्रबंधन का आरोप लगाया।
12 जनवरी 2017 एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए।
6 फरवरी 2017 मिस्त्री टाटा सन्स बोर्ड के डायरेक्टर पद से हटाए गए।
21 सितंबर 2017 टाटा सन्स को प्राइवेट कंपनी बनाने का प्रस्ताव बोर्ड ने मंजूर किया।
9 जुलाई 2018 एनसीएलटी ने सायरस मिस्त्री की याचिका खारिज की।

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