मुरैना। खाद्य सुरक्षा विभाग भोपाल की टीम ने सोमवार को शहर की तेल मिलों व पनीर बनाने की फैक्ट्रियों पर सैंपलिंग की कार्रवाई की। खासबात यह है कि भोपाल की टीम की यह लगातार तीसरे साल शहर के तेल मिलों पर कार्रवाई थी। पिछले दो साल में जो कार्रवाई हुई, उसमें किसी भी ऑयल मिलर्स को मिलावट को लेकर न तो सजा मिली और न ही जुर्माना हुआ। यहां तक एक दो मिलों को छोड़कर सभी ऑयल मिलर्स के सैंपल भी पास हो गए। जिनके सैंपल फैल भी हुए वे भी किसी न किसी तरह सांठ-गांठ कर कार्रवाई से बच गए। ऐसे में भोपाल से आई टीम की कार्रवाई केवल औपचारिकता ही साबित होती है।
इस तरह हुई थी कार्रवाई पिछले सालों में
- 2016 में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने लैब के मुख्य एनालिस्ट की अगुवाई में करीब 15 मिलों से सैंपल लेने की कार्रवाई की थी। कार्रवाई होने की सूचना पहले से ही लीक हो गई। साथ ही मिलों से जो सैंपल लिए गए। उनमें से अधिकतर पास हो गए और ऑयल मिलर्स पर कार्रवाई नहीं हुई।
- 2017 में इसी तरह भोपाल की टीम ने शहर की तेल मिलों पर कार्रवाई की। यह कार्रवाई दो दिन चली। एक दिन में छह से सात मिलों पर कार्रवाई हुई और दूसरे दिन बाकी की मिलों पर कार्रवाई हुई। हालांकि इस कार्रवाई के बाद जो सैंपल लिए गए। वे अधिकतर पास हो गए।
इस बार की कार्रवाई में यह हुआ
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 15-16 मिलों पर एक साथ कार्रवाई की। हालांकि कार्रवाई से पहले ही रविवार शाम को सोशल मीडिया पर कार्रवाई की खबर वायरल हो गई थी। ऐसे में स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। कार्रवाई किस तरह से की गई होगी। मंगलवार को कार्रवाई के दौरान डेयरी व अन्य खाद्य उत्पाद बनाने के की इकाईयों से 17 सैंपल लिए गए।
इसलिए कार्रवाई आती है संदेह के दायरे में
भोपाल से आने वाली टीम में हमेशा एक फूड सेफ्टी अफसर ऐसा शामिल होता है जो जिले में रह चुका है। वर्तमान में जिस जिले में पदस्थ है, वहां पर उसने एक भी सैंपल नहीं लिए हैं। साथ ही वर्तमान में भी अप्रतयक्ष रूप से जिले के फूड सेफ्टी विभाग व इकाइयों पर उसका हस्तक्षेप रहता है।
इस तरह बच जाते हैं ऑयल मिल संचालक
सभी ऑयल मिल संचालकों ने ब्लंडिंग यानि दो खाद्य तेलों को मिलाकर कुकिंग ऑयल तैयार करते हैं। चूंकि ब्लंडेड ऑयल तो तैयार करने का लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग से ही मिलता है। यह लाइसेंस केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है। चूंकि दो तेलों को मिलाकर कुकिंग ऑयल तैयार करने का लाइसेंस पहले से ही है। ऐसे में ऑयल मिल संचालक कार्रवाई के दायरे से बच जाते हैं।
क्या होती है ब्लंडिग
ब्लंडेड ऑयल यानि दो खाद्य तेलों को मिलाकर तैयार किया जाने वाला तेल। लाइसेंस में यह रहता है कि दोनों ही तेलों का एक निश्चित अनुपात रहता है। लेकिन इस अनुपात का ऑयल मिल संचालक पालन नहीं करते। इसी मामले में ऑयल मिल संचालक विभाग के लोगों से सांठगांठ कर लेते हैं।
निष्पक्ष कार्रवाई हो तो सामने आए मिलावट
- स्थानीय ऑयल मिल संचालक ब्लंडेड तेल के पैकिंग पर बड़े अच्छरों में सरसों का तेल लिखते हैं। ब्लंडेड छोटे शब्दों में लिखते हैं। ऐसे में उपभोक्ता समझ ही नहीं पाता, ब्लंडेड तेल है या शुद्ध सरसों का।
- सोयाक्रूड व पाम ऑयल का रंग तकरीबन सरसों के तेल जैसा ही होता है। इसलिए मिल संचालक बहुत कम मात्रा में इसमें सरसों का तेल मिलाते हैं। वे सरसों के तेल के ऐसेंस को इस तेल में मिला देते हैं, जिससे सरसों की तेल की खुशबू उपभोक्ताओं को मिलती है। इसी बात की यदि सही मायने में जांच हो जाए तो सरसों के तेल में मिलावट करने वाले कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं।
फैक्ट फाइल
- 60 के करीब ऑयल मिल हैं जिले भर में
- 15 के करीब ऑयल मिल हैं बंद
- 45 के करीब ऑयल मिल संचालित हैं जिले में जिनमें तकरीबन सभी के पास है ब्लंडिंग का लाइसेंस
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