राउत के मुताबिक- मोदी को लगता है कि उनके खिलाफ साजिश हो रही है, इंदिरा को भी यही लगता था
'आज कथित धमकियों के चलते मोदी की सुरक्षा बढ़ाई गई लेकिन इंदिरा ने इंटेलिजेंस की चेतावनी की अनदेखी की और 1984 में मारी गईं'
मुंबई. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि 1975 में आपातकाल लगाने के बावजूद देश के लिए इंदिरा गांधी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इंदिरा लोकतंत्र की समर्थक थीं। उन्होंने 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद चुनाव कराने का ऐलान किया था। 26 जून को भाजपा ने मुंबई में आपातकाल: लोकतंत्र पर आघात विषय पर कार्यक्रम रखा था। इसमें नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब भी कांग्रेस को कुर्सी जाने का डर होता है, वह देश में डर का माहौल बनाना शुरू कर देती है। इनके नेता ये कहना शुरू कर देते हैं कि देश तबाह हो रहा है और देश को हम ही बचा सकते हैं। इनके लिए मूल्य, परंपराएं, देश, संविधान कुछ मायने नहीं रखता। कांग्रेस की आलोचना मात्र करने के लिए हम काला दिन नहीं मनाते। हम देश और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं।
इंदिरा जैसा महान योगदान किसी का नहीं: शिवसेना के मुखपत्र सामना के लेख में राउत ने लिखा कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, बीआर अंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर के कामों को भुलाना राजद्रोह जैसा होगा। इंदिरा ने जो महान काम किए वो कोई भी नहीं कर पाया। हर सरकार हालात के हिसाब से कुछ व्यावहारिक फैसले लेती है। वो सही थे या गलत, इसका फैसला कौन करेगा?
केंद्र सरकार के कई काले दिन:राउत ने लिखा कि जिस दिन इंदिरा गांधी ने आपातकाल का ऐलान किया था, उसे काला दिन कहा जा रहा है तो आज की केंद्र सरकार के कई काले दिन होंगे। जिस दिन नोटबंदी लागू की गई, उसे भी काला दिन कहना चाहिए। क्योंकि उसी दिन (8 नवंबर 2016) से देश में आर्थिक संकट शुरू हुआ। 500-1000 के नोट बंद होने के चलते गरीबों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ीं। छोटे दुकानदारों को भी नोटबंदी का नुकसान झेलना पड़ा जबकि अमीरों का काला धन सफेद हो गया। प्रधानमंत्री का दावा था कि इससे काला धन बैंकों में आएगा जबकि नोट बदलने के लिए कतार में लगने से कई लोगों की मौत हो गई। नोटबंदी की घोषणा के बाद एक बैंक ने पांच दिन में 575 करोड़ के नोट बदले। अमित शाह इस बैंक के निदेशकों में से एक हैं।
आपातकाल और आज के हालात में कोई अंतर नहीं: राउत ने ये भी लिखा कि आपातकाल के दौरान प्रेस की आजादी खत्म की गई थी लेकिन आज भी स्थिति में कोई फर्क नहीं है। आपातकाल के दौरान भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को जेल में डाल दिया गया था। आज अटल बिहारी वाजपेयी बिस्तर पर हैं और आडवाणी कुछ बोल नहीं सकते। कई अन्य लोगों को भी चुप करा दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिए गए भाषण पर राउत ने चुटकी ली कि जो उस वक्त पैदा नहीं हुए थे वे भी आपातकाल और इंदिरा गांधी पर के खिलाफ बात कर रहे हैं। आपातकाल के दौरान बाला साहब ठाकरे की प्रिंटिग प्रेस सील कर दी गई थी। इसके बावजूद भी उन्होंने कहा था कि अगर देश में अनुशासन लाना है तो आपातकाल की जरूरत है।
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