गुड्स एंड सर्विस टैक्स से पहले केंद्र और राज्य के 17 तरह के टैक्स लागू थे
- अभी पेट्रोलियम उत्पादों, शराब, तंबाकू और मनोरंजन पर लगने वाला टैक्स जीएसटी से बाहर
- 11 महीने में खुदरा महंगाई दर दोगुनी हुई, लेकिन एक्सपर्ट्स ने कहा- ये जीएसटी का असर नहीं
नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को एक साल हो गया है। एक जुलाई 2017 को सरकार ने 70 साल पुराना टैक्स स्ट्रक्चर खत्म कर दिया था। इसकी जगह जीएसटी लागू किया था। इसके तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब बनाए गए। एक बार अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया। जब जीएसटी लागू हुआ, तब सवाल ये उठा था कि इससे सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ। लेकिन पिछले 11 महीने के आंकड़े बताते हैं कि 17 अप्रत्यक्ष करों के बदले जीएसटी लागू करने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
जीएसटी लागू होने से पहले वित्त वर्ष 2016-17 में कुल इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 8.63 लाख करोड़ रुपए और हर महीने औसतन 72,000 करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ था। वहीं, जीएसटी के 11 महीनों यानी जुलाई 2017 से मई 2018 के बीच कुल जीएसटी कलेक्शन 10.06 लाख करोड़ रुपए और हर महीने औसत कलेक्शन 91 हजार करोड़ रुपए रहा। जून 2018 के आंकड़े आने बाकी हैं। सरकार के नजरिए से यह आंकड़ा इसलिए अच्छा है क्योंकि इसमें पेट्रोलियम उत्पादों, शराब, तंबाकू और मनोरंजन पर लगने वाला टैक्स शामिल नहीं है।
अप्रैल में 1 लाख करोड़ के पार हुआ जीएसटी कलेक्शन
महीना | जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़)* |
मई-18 | 94,016 |
अप्रैल-18 | 1,03,000 |
मार्च-18 | 89,264 |
फरवरी-18 | 88,047 |
जनवरी-18 | 88,929 |
दिसंबर-17 | 83,716 |
नवंबर-17 | 85,931 |
अक्टूबर-17 | 95,132 |
सितंबर-17 | 93,029 |
अगस्त-17 | 93,590 |
जुलाई-17 | 92,283 |
11 महीने का औसत | 91,539 |
11 महीने का टोटल | 10,06,937 |
*सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी के आंकड़े
11 महीने में महंगाई दोगुनी : कुछ देशों में गुड्स एंड सर्विस टैक्स के शुरुआती महीनों में महंगाई में इजाफा हुआ था। कनाडा में 1991 में 7% की दर से जीएसटी लागू किया गया था। इससे वहां महंगाई बढ़ी थी। कनाडा ने 2006 में टैक्स दर घटाकर 6% कर दी। 2008 में इसे 5% कर दिया गया। ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया को भी जीएसटी के बाद महंगाई को काबू करने के लिए कदम उठाने पड़े। भारत में जीएसटी लागू होने के समय जुलाई 2017 में खुदरा महंगाई दर 2.36% थी। एक महीने बाद अगस्त 2017 में ये दर 3.36% पहुंच गई जो 5 महीने में सबसे ज्यादा थी। जीएसटी के 11 महीने बाद मई 2018 में महंगाई दर 4.87% रही।
एक्सपर्ट्स ने कहा- महंगाई जीएसटी की वजह से नहीं बढ़ी
आर के गौतम, बैंकिंग मामलों के एक्सपर्ट | गुड्स एंड सर्विस टैक्स का मंहगाई पर कोई सीधा असर नहीं हुआ है। शुरुआती दिक्कतों को छोड़ दें तो इससे लंबी अवधि में फायदा ही होगा। |
सुनील मिगलानी, विश्लेषक, शेयर बाजार | जीएसटी से महंगाई पर कोई असर नहीं होगा लेकिन जीडीपी पर असर दिख सकता है। |
अजय केडिया, डायरेक्टर, केडिया कमोडिटी | महंगाई को जीएसटी से जोड़कर देखा जा सकता है लेकिन आने वाले समय में जीएसटी से अर्थव्यवस्था को फायदा ही होगा। |
जीएसटी काउंसिल के 4 बड़े फैसले : पहला- नवंबर 2017 की बैठक में 213 सामानों को अधिकतम 28% जीएसटी स्लैब से निकालकर 18% के स्लैब में शामिल किया। 5% जीएसटी के दायरे में शामिल 6 सामानों पर टैक्स खत्म कर दिया। कुल 213 आइटम्स पर टैक्स दरों में बदलाव किया। दूसरा- 18 जनवरी 2018 को 21 सामानों पर टैक्स की दरों में बदलाव, 40 सेवाओं पर टैक्स खत्म किया। तीसरा- एक अप्रैल 2018 को ई-बे बिल लागू किया गया, दिसंबर 2017 की बैठक में इसका फैसला लिया गया था। चौथा- 4 मई 2018 को कारोबारियों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी वाली रिटर्न प्रक्रिया आसान करने के फैसले पर सहमति बनी। अब महीने में तीन की बजाय एक रिटर्न भरना होगा। 5 महीने में ये व्यवस्था लागू होने की उम्मीद है।
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