भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सोशल मीडिया पर उन्हें फॉलो करने की सलाह दी है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा मुझे फॉलो करें आपको सही मार्ग दर्शन मिलेगा। दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार रात कई ट्वीट किए और पीएम पर जमकर भड़ास निकाली।
दरअसल गुरुवार को मोदी ने उत्तर प्रदेश में कबीर निर्वाण दिवस पर दिए गए भाषण में कहा था कि कबीर, गुरु नानक और गोरखनाथ के एक साथ बैठ कर चर्चा करते थे।
शुक्रवार रात किए गए दिग्विजय सिंह के ट्वीट
1- मोदी जी अब जैन साधुओं से अपनी प्रशंसा करवा कर २५वें तीर्थांकर बनने का प्रयास कर रहे हैं। अमित शाह जी भी भगवान महावीर का मार्ग छोड़ कर मोदी जी को ही अपना भगवान और तीर्थांकर मानने लगे हैं। जय हो।
2- और आपसे प्रार्थना है कि देश भर मैं नफ़रत का बीज बोने के बजाय प्रेम सद्भाव और अहिंसा का बीज बोयें। महावीर गौतम बुद्ध गुरू गोरखनाथ कबीर गुरू नानक और महात्मा गॉंधी के विचार व कथनों से प्रेरणा लें नाकि गोडसे व गोलवलकर व सावरकर से।
3- हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।
और विशेष आपके लिए
बोया बीज बबूल का तो
आम कहॉं से होये।
4- मुझे पता नहीं आप मुझे सोशल मीडिया पर follow करते हैं या नहीं पर अगर ना करते हैं तो कृपया मुझे follow करें आपको सही मार्ग दर्शन मिलेगा!
5- मोदी जी आप मघर कबीर की समाधी पर गये और आपने लंबा चौड़ा बेतुका और एतिहासिक मिथ्या पर आधारित भाषण अपनी चिर परिचित शैली में ठोक दिया। अगर वाक़ई आप कबीर की वाणी और विचार से प्रभावित हैं तो उनके कुछ दोहे आपको भेज रहा हूँ।
6- क्या मोदी जी जिन लोगों को सोशल मीडिया पर follow करते हैं उनमें से कई लोग जो खुले रूप से झूँटी अफ़वाहें फैला कर नफ़रत के बीज बो कर हिंसा फैलाते हैं उनको unfollow करेंगे? कभी नहीं करेंगे क्योंकि उन्हीं की मदद से यहाँ तक पहुँचे हैं।
7- क्या मोदी जी का आचरण उनकी भाषा उनके भक्तों की भाषा उनका व्यवहार क्या गुरू गोरखनाथ कबीर व गुरू नानक के विचारों से मेल खाते हैं?
क्या है मामला
-ज गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (28 जून) को संत कबीर की 620वीं पुण्यतिथि के मौके पर उत्तर प्रदेश संत कबीर नगर के मगहर पहुंचे थे।
- यहां उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से मैं एकबार फिर.. कोटि कोटि नमन करता हूं।
- ऐसा कहते हैं कि यहीं पर संत कबीर, गुरुनानक देव और बाबा गोरखनाथ जी ने एक साथ बैठकर के आध्यात्मिक चर्चा की थी। मगहर आकर के मैं एक धन्यता अनुभव करता हूं।
क्या है इतिहास
- इतिहास कारों की माने तो बाबा गोरखनाथ, कबीर दास और गुरुनानक से बहुत पहले के दौर के थे।
- बाबा गोरखनाथ का जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था जबकि कबीर दास का जन्म 14वीं शताब्दी के आखिर में (1398 – 1518) हुआ था जो कि 120 साल जीवित रहे थे।
- वहीं गुरुनानक 15वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य में (1469-1539) रहे।
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