बॉलीवुड डेस्क. 12 मार्च 1993 को मुंबई 12 बम धमाकों से दहल उठी थी। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी। लगभग एक हजार लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जांच के बाद टाडा के केस में संजय दत्त भी आरोपी थे। वे दोषी करार दिए गए और उन्हें सजा हुई। संजय दत्त पुलिस की जांच के घेरे में कैसे आए, इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी है।
दरअसल, मीडिया में आई जिस पहली खबर के आधार पर 25 साल पहले संजय दत्त गिरफ्तार हुए, भास्कर उस रिपोर्टर तक पहुंचा और गिरफ्तारी से पहले की पूरी कहानी जानी। ये रिपोर्टर हैं बलजीत परमार जो 30 साल तक मुंबई अंडरवर्ल्ड पर रिपोर्टिंग कर चुके हैं। शुक्रवार को बायोपिक ‘संजू’ की रिलीज के मौके पर जानिए संजय दत्त की जिंदगी से जुड़ा सबसे अहम वाकया...।
कौन हैं बलजीत परमार:परमार 1976 में फिल्मों में काम करने चंडीगढ़ से मुंबई आए थे। लेकिन काम नहीं मिला और 1980 में पत्रकार बन गए। बलजीत का दावा है कि मुंबई ब्लास्ट से पहले 1988 से 1992 तक वे दाउद इब्राहिम से 20 बार मिले। 1997 में परमार को गैंगस्टर छोटा राजन ने मारने की कोशिश भी की थी।
संजय दत्त की गिरफ्तारी की कहानी बलजीत परमार की जुबानी...
1) एक सांसद के बेटे पर शक था :परमार कहते हैं, ‘‘धमाकों के ठीक एक महीने बाद, वो 12 1993 अप्रैल का दिन था जब मैं एक स्टोरी की तलाश में माहिम पुलिस स्टेशन पहुंचा। मैंने वहां मौजूद इन्वेस्टिगेशन टीम के हेड और सीनियर आईपीएस अफसर वाईसी पवार से पूछा कि केस में क्या प्रोग्रेस है? अफसर ने सिर्फ इतना बताया कि एक सांसद के बेटे का नाम सामने आया है। हिंट देकर पवार चले गए। 24 घंटे के बाद घटनाक्रम बदला तो मैंने एक और अफसर से पूछा कि - मुंबई ब्लास्ट केस में आपने एक सांसद के बेटे को उठाया है, वह कौन है? अफसर ने बताया कि अभी किसी को उठाया नहीं है। जिस पर शक है, वह फॉरेन में शूटिंग कर रहा है। जब आएगा, फिर देखेंगे।’’
2) वो सांसद सुनील दत्त थे और जिस पर शक था वो संजय दत्त थे: परमार के मुताबिक, ‘‘अफसर के बताने के बाद मेरा शक पुख्ता हो गया कि ये सांसद सुनील दत्त हैं और निश्चित रूप से उनके इकलौते बेटे संजय के तार इस केस से जुड़े हो सकते हैं, जो उन दिनों मॉरीशस में ‘आतिश’ की शूटिंग कर रहे थे। मुझे सुनील दत्त पर्सनली जानते थे। इसलिए खबर लिखने से पहले उनका स्टेटमेंट लेने सुनील दत्त को फोन लगाने की सोची। पता चला कि वे जर्मनी गए हैं।
जर्मनी में दत्त और अपने कॉमन फ्रैंड और सीनियर फोटोग्राफर जय उल्लाल के घर फोन किया, लेकिन सामने होने के बाद भी सुनील ने इशारे से मना कर दिया था कि बलजीत को मत बताना कि मैं यहां हूं। सुनील दत्त मुझे टालना चाह रहे थे। काफी कोशिशों के बाद जब सुनील और संजय से बात नहीं हो पाई तब मैंने दत्त फैमिली के करीबी सुरेश शेट्टी को फोन करके कहा कि अगर कल तक सुनील या संजय ने फोन नहीं किया तो परसों मैं खबर पब्लिश कर दूंगा। 15 अप्रैल 1993 को संजय की खबर ‘द डेली' अखबार में पब्लिश कर दी। खबर आग की तरह फैल गई। संजय दत्त ने मॉरीशस से मुझे फोन करके कहा- आप मेरे दोस्त हैं। आपने मेरे खिलाफ क्यों लिखा? मैंने संजय से कहा- मेरे पास जानकारी थी। तब संजय ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है। मैं पुलिस कमिश्नर से बात करुंगा। मुझे नंबर दीजिए।’’
3) संजय ने रिपोर्टर को फोन किया : बलजीत कहते हैं, ‘‘मैं रोजाना ब्लास्ट केस की प्रोग्रेस जानने सुबह 8.30 बजे कमिश्नर अमरजीत सिंह सामरा को फोन करता था। खबर लगाने के बाद मैंने उन्हें फोन किया और संजय के बारे में बताया। तब कमिश्नर ने कहा कि संजय की मुझसे बात हो गई है। संजय ने कमिश्नर सामरा के पास फोन करके केस और भारत आने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है। आप अपना काम करो। जब खत्म हो जाए, तब आना। कमिश्नर ने सोचा कि अगर संजय को पता चला कि उनके खिलाफ केस है तो हो सकता है वह भाग जाए!’’
4) संजय को हथियार पुलिस को सौंपने की सलाह दी: परमार बताते हैं, ‘‘संजय ने फिर से मुझे फोन किया और बताया कि पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि कोई केस नहीं है। आपकी खबर में दम नहीं है। आप मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो। तब मैंने संजय से कहा- मैं आपका फैमिली फ्रेंड हूं, धोखे में मत आओ। मेरी सलाह है कि जो हथियार हैं उन्हें पुलिस के हवाले कर दो। ऐसा करोगे तो आर्म्स एक्ट का केस बनेगा, 2-4 साल में छूट जाओगे। अगर पुलिस घर से हथियार खोजती है तो टाडा के तहत लंबे केस में फंस जाओगे। यह सुनकर संजय ने फोन बंद कर दिया। कुछ देर बाद संजय ने दोबारा मुझे फोन किया और पूछा कि क्या करना है। मैंने उससे कहा किसी को भेजकर हथियार बांद्रा पुलिस स्टेशन भिजवा दो। बाद में खुद आकर पुलिस के सामने पेश हो जाना। संजय ने सलाह मानने की बजाय अपने दोस्त यूसुफ नलवाला को हथियार नष्ट करने कहा। यूसुफ ने हथियार किसी लोहा फैक्ट्री में फेंक दिया था।’’
5) सुनील दत्त यही कहते थे कि मैंने संजय को बर्बाद कर दिया: परमार ने बताया, ‘‘19 अप्रैल 1993 को संजय भारत लौट आया, लेकिन इस दौरान सुनील दत्त ने संजय की वापसी की खबर पुलिस को दे दी। पुलिस की टीम ने संजय को सहारा एयरपोर्ट से ही अरेस्ट कर लिया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद लोग मेरे ऑफिस में फोन करके लोग गालियां देते थे। खुद सुनील दत्त ने मरते दम तक यही बात कही कि बलजीत ने मेरे बेटे को बर्बाद कर दिया। आज भी संजय और उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति मुझे कहीं मिल जाता है तो मिलने पर भी मुझसे बात नहीं करता है।’’
एक्स्ट्रा शॉट्स
- संजय के वकील राम जेठमलानी ने बलजीत को संजय की खबर छापने के लिए एक करोड़ रुपए का लीगल नोटिस भेजा। इसमें लिखा था कि वे या तो खबर के बारे में सबूत पेश करें या परिणाम भुगतने तैयार रहें। बलजीत ने इस नोटिस को लेकर राम जेठमलानी को फोन किया और कहा मेरे पास डेढ़ रूपए नहीं और आपने डेढ़ करोड़ का नोटिस भेजा है। तब जेठमलानी ने जबाव दिया कि नोटिस पर देखो किसके साइन हैं, अगर मेरे नहीं तो उसे फाड़कर फेंक दो। बलजीत के अलावा उनकी प्रेस के नाम भी 1.5 करोड़ का नोटिस आया था।
- दूसरे दिन बलजीत ने उन सभी के नाम के साथ एक और खबर पब्लिश कर दी, जिनसे उन्होंने संजय के बारे में जानकारी मांगी थी। दूसरी खबर के बाद उनके पास 2.5 करोड़ का नोटिस फिर से आया। इस तरह संजय की खबरें लगाने के बाद कुल 3 नोटिस उनके पास आए।
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