रोजा तोड़कर रक्त की कमी से जीवन की जंग लड़ रहे मरीज की जान बचाने के लिए पहुंचे युवक को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।
जशपुर। रोजा तोड़कर रक्त की कमी से जीवन की जंग लड़ रहे मरीज की जान बचाने के लिए पहुंचे युवक को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। जिला अस्पताल में सरकारी तंत्र के रवैये ने रक्तदाता के अंतर्मन को इस तरह दुखी किया कि वह समझ नहीं पाया कि क्या रक्तदान कराना कोई गुनाह है।
जशपुर जिला चिकित्सायल में लोगों के साथ दुर्व्यवहार की यह कोई पहली घटना नहीं है। मरीजों और उनके परिजनों को अक्सर यहां इससे जूझना पड़ता है। लेकिन गुरुवार की रात को यहां जो कुछ हुआ, वह मानव सेवा से जुड़े इस पेशे के लिहाज से सही नहीं कहा जा सकता। शुगर की बीमारी से जूझ रहे केसरा निवासी मनसाय राम पिता लुन्द्रु राम 45 वर्ष को चिकित्सक ने चार दिन पूर्व शरीर में खून की कमी की जानकारी देते हुए खून चढ़ाने की आवश्यकता बताई थी।
खून के लिए जब परिजन ने रेड क्रॉस और ब्लड बैंक से संपर्क किया तो उन्हें स्टोरेज में रक्त ना होने की जानकारी देते हुए बाहर से व्यवस्था करने को कहा गया। तीन दिन भटकने के बाद चौथे दिन मरीज की पत्नी को कंपनी क्लब के बारे में पता चला, तो उन्होंने इस संस्था से सहायता की गुहार लगाई। इस पर संस्था के सदस्य शकील खान पिता जमील खान ने रक्तदान करने का निर्णय लिया।
दिनभर रोजा रखने के कारण शकील खान गुरुवार की रात को रक्त दान करने के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचे। आरोप है कि जैसे ही रक्तदान से पूर्व कागजी खानापूर्ति के लिए खान आपातकालीन ड्यूटी कर रहीं चिकित्सक डॉ सीपी एक्का के पास पहुंचे, यहाँ उनका बीपी जांच करने के बाद पर्ची देने के नाम पर आधा घंटा खड़ा कर दिया गया। इस पर जब उन्होंने मरीज की हालत की जानकारी देते हुए पर्ची जल्दी देने का अनुरोध किया तो डॉक्टर भड़क गईं।
खान का कहना है कि डॉक्टर ने उनसे कहा कि अभी मैं एक मरीज के मौत से संबंधित कागज तैयार कर रही हूं। रुकना है तो रुको नहीं तो जो कर सकते कर लो। चिकित्सक के इस व्यवहार से आहत रक्तदाता शकील खान वहां से वापस लौट आए और इसकी जानकारी अपने साथियों को दी। रक्तदाता के साथ हुए इस दुर्व्यवहार से आहत शकील खान और उनके साथी इसकी शिकायत एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों से करने की तैयारी कर रहे हैं।
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