Wednesday, 10th September 2025

शेयर बाजार में इन्फोसिस के 25 वर्ष पूरे, 9,500 रुपये का निवेश आज 6.46 करोड़ रुपये का

Fri, Jun 15, 2018 5:52 PM

बेंगलुरु। आईटी सेक्टर की दिग्गज घरेलू कंपनी इन्फोसिस ने गुरुवार को शेयर बाजार में सूचीबद्धता के 25 साल पूरे कर लिए। इन ढाई दशकों के दौरान कंपनी ने काफी उतार-चढ़ाव देखे। लेकिन इन्फोसिस ने निवेशकों को मालामाल कर दिया। इसकी एक बानगी यह है कि प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के वक्त किया गया 9,500 रुपए का निवेश आज 6.46 करोड़ रुपए का हो गया है।

एनआर नारायणमूर्ति ने वर्ष 1981 में छह दोस्तों के साथ इन्फोसिस की शुरआत की। उन्होंने पुणे में इसकी शुरआत महज 250 डॉलर (अभी के हिसाब से करीब 17 हजार रुपए) की पूंजी से की थी। इन्फोसिस शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली पहली आईटी कंपनी थी।

इंफोसिस का आईपीओ फरवरी, 1993 में आया था और इसकी लिस्टिंग यानी सूचीबद्धता जून, 1993 में हुई। हालांकि कंपनी के आईपीओ को निवेशकों ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके चलते यह उम्मीद और लक्ष्य से कम सब्सक्राइब हुआ। लेकिन संस्थागत निवेशक मॉर्गन स्टेनले ने इसे बचाया था।

मॉर्गन स्टेनले ने 95 रुपए प्रति शेयर के भाव पर 13 फीसदी शेयर खरीदकर आईपीओ को बचा लिया था। अच्छी बात यह रही कि लिस्टिंग के दिन यह शेयर 60 फीसदी ऊपर 145 रुपये प्रति शेयर के भाव पर खुला था।

 

इन्फोसिस 1999 में नेस्डैक पर लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी। कंपनी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस और डाटा डिस्क्लोजर का खास खयाल रखा। इन्फोसिस ने ही सबसे पहले गाइडेंस (आय का पूर्वानुमान) देना शुरू किया।

निवेशक मालामाल

 

 

इन्फोसिस ने निवेशकों को मालामाल कर दिया। इसकी बानगी यह है कि आईपीओ के वक्त लगाए गए महज 95 रुपये आज 6.46 लाख रुपये हो गए हैं। शेयर बाजार में लिस्टिंग से अब तक इन्फोसिस ने 6,800 गुना रिटर्न दिया है। गुरुवार को बीएसई पर कंपनी के शेयर 6.90 रुपये यानी 0.55 फीसदी गिरावट के साथ 1,238.70 रुपए पर बंद हुए।

 

विवादों में भी रही कंपनी

 

 

पिछले 25 वर्षों के दौरान इन्फोसिस ने कई उतार-चढ़ाव देखे। पिछले साल कंपनी के बोर्ड में विवाद खुलकर सामने आया, जिसमें तत्कालीन सीईओ विशाल सिक्का को इस्तीफा देना पड़ा था। उनके बाद कंपनी के संस्थापकों में शामिल नंदन निलेकणि ने गैर-कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर कमान संभाली थी।

दरअसल, नारायण मूर्ति को सिक्का के कुछ फैसले पसंद नहीं आए थे, जिनपर उन्होंने खुलकर आपत्ति जताई थी। इन फैसलों में सीएफओ राजीव बंसल और लीगल काउंसल डेविड केनेडी को दिया गया भारी-भरकम पैकेज शामिल था। इसके अलावा कंपनी के कई कर्मचारियों ने अमेरिका में कंपनी द्वारा वीजा नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया था।

 

रोचक तथ्य

 

 

- कंपनी का आइपीओ पूरा सब्सक्राइब नहीं हुआ था और मॉर्गन स्टेनले ने इसे बचाया था 

- इन्फोसिस से पहले अमेरिकी शेयर बाजार नेस्डैक पर अन्य कोई भारतीय कंपनी सूचीबद्ध नहीं हुई थी 

 

- कर्मचारियों के साथ कमाई बांटने वाली पहली कंपनी है इन्फोसिस

- शेयर बाजार में सूचीबद्धता के बाद अब तक कंपनी ने 6,800 गुना रिटर्न दिया है

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