Thursday, 22nd May 2025

जानिए क्या होता है कालसर्प दोष और कब होता है प्रभावी

Tue, Jun 12, 2018 7:03 PM

मल्टीमीडिया डेस्क। जब राहू और केतु के बीच अन्य ग्रहों की उपस्थिति हो तब ही कालसर्प योग का असर होता है। वहीं जब केतु और राहु के बीच ग्रहों की उपस्थिति हो तब इस योग का असर नहीं होता है। राहु-केतु की स्थिति के आधार पर अनन्तादि 12 प्रकार के कालसर्प योग निर्मित होते हैं। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है।

इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। मगर, दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है। इसलिए लोगों को कालसर्प योग से डरना नहीं चाहिए। कालसर्प योग तो देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और शेयर मार्केट के धुरंधर हर्षद मेहता को भी था।

कालसर्प योग के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पूजा-पाठ, मंत्र और जप आदि कार्यों के अलावा कई ज्योतिषीय उपाय भी प्रचलन में हैं। आइए जानते हैं किन परिस्थितियों में कालसर्प योग का असर होता है और किसमें नहीं।

जब कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर इकट्ठा हों तो यह कालसर्प योग नुकसानदायक नहीं होता। जब सारे ग्रह बाईं ओर इकट्ठा रहें तो वह नुकसानदायक होता है, लेकिन इससे भयभीत नहीं होना चाहिए।

 

इसका निवारण ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठान से किया जा सकता है। कालसर्प दोष की शांति हेतु उज्जैन और त्रयंबकेश्वर में अनुष्ठान और पूजा पाठ किया जाता है। मानसागरी के चौथे अध्याय के 10 वें श्लोक में कहा गया है कि शनि, सूर्य व राहु लग्न में सप्तम स्थान पर होने पर सर्पदंश होता है।

कब होता है अधिक प्रभावी

 

लग्न या चन्द्रमा राहु अथवा केतु के नक्षत्र में यानि आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा, अश्विनी, मघा, मूल में हो तो तब यह अधिक प्रभावी होता है। राहु की शनि, मंगल अथवा चन्द्रमा के साथ युति हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।

अनन्त, तक्षक एवं कर्कोटक संज्ञक कालसर्प योग में क्रमश लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश एवं लग्नेश की युति राहु के साथ हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।

 

कालसर्प योग के साथ-साथ शकट,केमदूम एवं ग्रहों की नीच अस्तंगत, वक्री स्थिति हो तो कालसर्प योग अधिक प्रभावी होता है।

जन्म लेने और फिर उसके बाद करियर के निर्माण के समय यदि राहु की अथवा इससे युति ग्रह की अथवा राहु के नक्षत्र में स्थित ग्रह की दशा हो तो कालसर्प योग का असर अधिक होता है।

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