Sunday, 25th May 2025

उद्धव-शाह की मुलाकात पर शिवसेना ने कहा- हम जानते है कि भाजपा का एजेंडा क्या है, लेकिन हम चुनाव अकेले लड़ेंगे

Thu, Jun 7, 2018 5:18 PM

शिवसेना और भाजपा के बीच पिछले साल से रिश्ते खराब हैं। उसने 2019 का आम चुनाव अकेले लड़ने का एलान किया है।

  • अमित शाह ने कहा- केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उद्धव से उनकी पांचवीं मुलाकात
  • शाह ने माधुरी दीक्षित को राज्यसभा सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया- सूत्र

 

मुंबई. उद्धव ठाकरे और अमित शाह की मीटिंग पर गुरुवार को शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि हम जानते हैं कि उनका (अमित शाह) एजेंडा क्या है, लेकिन शिवसेना ने 2019 में अकेले चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पास किया है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। शाह ने बुधवार की शाम को उद्धव से मिलने के पहले भरोसा जताया कि भाजपा और शिवसेना अगला लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी। शाह की इस कोशिश को दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती दूरी को कम करने के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले भी शिवसेना की ओर से 2019 का चुनाव अकेले लड़ने की बात कही गई थी।

'सामना' में लिखा गया- हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है भाजपा

- सामना की बुधवार की संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हुए हैं, किसान सड़क पर हैं, इसके बावजूद भाजपा चुनाव जीतना चाहती है। जिस तरह भाजपा ने साम, दाम, दंड, भेद के जरिए पालघर का चुनाव जीता उसी तरह भाजपा किसानों की हड़ताल को खत्म करना चाहती है। चुनाव जीतने की शाह की जिद को हम सलाम करते हैं।

शिवसेना ने लिखा-अब बहुत देर हो गई है
- इस संपादकीय में कहा गया, "एक ओर जहां मोदी पूरी दुनिया में घूम रहे हैं, वहीं शाह पूरे देश में घूम रहे हैं। भाजपा को उपचुनावों में हार मिली है, क्या इसलिए अब उसने सहयोगी पार्टियों से मिलना शुरू कर दिया है। भले ही अब वह करीब आने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। तेलेगु देशम पार्टी के चीफ चंद्रबाबू नायडू एनडीए छोड़ गए। उधर जदयू चीफ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अलग बयान दे रहे हैं। भाजपा का जनता से संपर्क लगातार टूटता जा रहा है।

- शिवसेना का कहना है कि अगर भाजपा राम मंदिर बनाती है तो 350 सीटें जीत सकती है।

2014 में क्या स्थिति थी

- महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। 2014 में इनमें से भाजपा को 23 और शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं। राकांपा को 4, कांग्रेस को 2 और अन्य के खाते में एक सीट गई थी।

लता के न मिलने के पीछे प्रोटोकॉल बताई जा रही वजह

- सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने बॉलीवुड की हस्तियों से मुलाकात का वक्त तय करते वक्त प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा। वे माधुरी दीक्षित से पहले मिले, इसके बाद भारत रत्न लता से मिलने वाले थे। इसी वजह से उन्होंने शाह से मुलाकात ऐन मौके पर रद्द कर दी। हालांकि, लता मंगेशकर की ओर से ट्वीट करके कहा गया है कि उन्हें डीहाइड्रेशन है।

- लता ने भाजपा नेताओं से फोन करके कहा कि अमित शाह अगली बार जब मुंबई आएंगे तब निश्चित ही वह उनसे मिलेंगी।

शरद पवार ने कहा था- फिलहाल देश में 1977 जैसे हालात

- राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा था, "देश में 1977 जैसे हालात हैं, जब विपक्षी दलों के गठबंधन ने इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। पहले भी ऐसा होता रहा है, जब-जब उपचुनावों में मिली हार का नतीजा उस समय की मौजूदा सरकार की हार के रूप में निकला।"

- उन्होंने कहा कि राज्यों में मजबूत मौजूदगी रखने वाले दलों जैसे कि केरल में लेफ्ट, कर्नाटक में जेडीएस, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में टीडीपी, तेलंगाना में टीआरएस, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और महाराष्ट्र में एनसीपी को एक आम सहमति बनाने की जरूरत है।"

- उन्होंने शिवसेना को साथ आने का ऑफर दिया है।

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