नई दिल्ली. इस साल 10 लोकसभा और 17 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। भाजपा सिर्फ एक लोकसभा और दो विधानसभा सीट ही जीत सकी। उसे आठ सीटों का नुकसान हुआ। पिछले 4 साल में भी 27 में से सिर्फ 5 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली। 8 सीटें उसने गंवा दीं। पिछले दिनों हुए उपचुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट इसलिए गंवा दी क्योंकि वहां रालोद उम्मीदवार को सपा, बसपा और कांग्रेस ने समर्थन दे दिया। वहीं, महाराष्ट्र के भंडारा-गाेंदिया में भाजपा-शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़े और जीत राकांपा की हो गई। उधर, कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस ने 2019 का चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है। पिछले 20 दिनों में जाे राजनीतिक स्थितियां बदली हैं, उस लिहाज से अगर तीनों राज्यों में ऐसी ही स्थिति रही तो अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
156 लोकसभा सीटों वाले तीन बड़े राज्य और वहां की मौजूदा सियासी स्थिति
राज्य | 2014 में क्या हुआ |
2018 में क्या हुआ | 2019 में आसार |
उत्तर प्रदेश | 80 सीटों में से 73 भाजपा ने जीतीं | फूलपुर-गोरखपुर में सपा-बसपा ने संयुक्त उम्मीदवार उतारा, कैराना में रालोद उम्मीदवार को सपा-बसपा और कांग्रेस ने समर्थन दिया | सपा-बसपा-कांग्रेस या सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद के बीच गठबंधन हो सकता है |
महाराष्ट्र | 48 सीटों में से 23 भाजपा और 18 शिवसेना ने जीतीं | 2014 के बाद इस साल पालघर और गोंदिया-भंडारा में भाजपा-शिवसेना अलग-अलग लड़े | लोकसभा चुनाव में भी भाजपा-शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़ सकते हैं |
कर्नाटक | 28 में से 17 सीटें भाजपा ने जीतीं | विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-जेडीएस साथ आए | लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस-जेडीएस साथ लड़ेंगे |
2019 में मोदी विरोधी एक हुए तो 156 में से भाजपा को 58 सीटों का नुकसान हो सकता है
- तीनों राज्यों में भाजपा को 2014 में 156 में से 113 लोकसभा सीटें मिली थीं।
- पिछले कुछ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रमों के अनुसार अगर 2019 में इन तीन राज्यों में मोदी के विरोध में दल एकजुट होते हैं तो भाजपा को 58 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है।
- ये नुकसान तब हो सकता है जब 2019 में भी भाजपा और विपक्षी दलों को 2014 जितने ही वोट मिलें और विपक्षी दल एक होकर चुनाव लड़ें। तब 56 लोकसभा सीटों पर विपक्षी उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या भाजपा को मिले वोटों से ज्यादा होगा।
- इस तरह भाजपा का आंकड़ा 156 सीटों पर 113 से घटकर 55 पर आ जाएगा।
उत्तर प्रदेश : 73 से 20 सीटों पर आ सकती है भाजपा
लाेकसभा चुनाव | 2014 में सीटें | 2019 में सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद साथ रहे तो | बसपा बाकी दलों से अलग चुनाव लड़ी तो |
भाजपा+ | 73 | 20 | 67 |
सपा | 5 | 60 | 13 |
कांग्रेस | 2 | 13 | |
0 | 0 |
उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के साथ आने पर नतीजे कैसे पलट सकते हैं, उदाहरण से समझिए
- 2014 में वरुण गांधी 410,348 वोट पाकर सुल्तानपुर सीट से जीते। बसपा के पवन पांडे को 2,31,446 वोट जबकि सपा के शकील अहमद को 2,28,144 वोट मिले। अगर 2019 में दूसरे नंबर पर रही बसपा अपना उम्मीदवार उतारती है और सपा के वोट बसपा उम्मीदवार को ट्रांसफर हो जाते हैं तो वोटों का आंकड़ा 4,59,590 हो जाएगा। यह वरुण गांधी को मिले वोटों से ज्यादा होगा।
- सुल्तानपुर में कांग्रेस की अमिता सिंह 41,983 वोट पाकर चौथे नंबर पर रही थीं। उनके वोट जोड़ने पर विपक्ष का आंकड़ा 5 लाख से ज्यादा पहुंच जाता है।
- इसी तरह मिरजापुर से जीतीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को भी 2014 में सपा-बसपा और कांग्रेस को मिले कुल वोट से कम वोट मिले थे।
जहां उपचुनाव हारी भाजपा, उन तीनों सीटों पर मिले थे 50% से ज्यादा वोट
- इस साल भाजपा गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव हार गई। 2014 में इन तीनों सीटों पर भाजपा का वोट शेयर 50% से ज्यादा था।
- ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्ष की एकता बाकी सीटों पर कितना असर डालेगी।
2019 में संभावित गठबंधन पर क्या बोलीं पार्टियां?
-पूर्व सपा मंत्री राजकिशोर सिंह का कहना है कि सीटों के बंटवारे पर कोई भी विवाद नहीं होना है। क्योंकि, जनता और कार्यकर्ता जान चुके हैं कि अगर बीजेपी को हराना है तो दोनों दलों को साथ आना ही होगा। जैसे ही शीर्ष नेतृत्व से हरी झंडी मिलेगी इस मुद्दे पर काम शुरू हो जाएगा।
-भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि बीजेपी के खिलाफ गठबंधन करने वाले सभी दल जनता को ठगने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। बीजेपी उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा कर रही है। बीजेपी गठबंधन से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
- कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि पार्टी ने तय किया है कि पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव लड़ना है। कैराना-नूरपुर में हमने गठबंधन को सपोर्ट किया। जिसका रिजल्ट भी बेहतर आया है। गठबंधन में ही कांग्रेस अगला चुनाव लड़ेगी।
महाराष्ट्र-
लोकसभा चुनाव | 2014 में सीटें | शिवसेना अगर भाजपा से अलग और कांग्रेस-एनसीपी साथ लड़ी तो |
भाजपा | 23 | 21 |
शिवसेना | 18 | 15 |
कांग्रेस | 2 | 11 |
एनसीपी | 4 | |
अन्य | 1 | 1 |
2014 लोकसभा चुनाव में शिवसेना और भाजपा साथ लड़ी थीं। जबकि उसी साल विधानसभा चुनाव दोनों ने अलग-अलग लड़े। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में मिले वोटों को लोकसभा सीटों के मुताबिक बांटे और अगर भाजपा को 2014 विधानसभा चुनाव जितने ही वोट मिलें और विपक्षी दलों को मिले वोट विपक्ष के साझा प्रत्याशी को ट्रांसफर हो जाएं तो इस स्थिति में भाजपा को दो और शिवसेना को तीन सीटों का नुकसान होगा। कांग्रेस-एनसीपी की सीटें 6 से बढ़कर 11 हो जाएंगी।
शिवसेना के तीखे तेवर, भाजपा सुहल की कोशिश में
-महाराष्ट्र बीजेपी के प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने बीजेपी-शिवसेना के बीच गठबंधन टूटने पर कहा है कि हम नहीं चाहते कि यह गठबंधन टूटे। बीजेपी शुरू से ही हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना के साथ रही है। फिलहाल हमारा शिवसेना से अलग होने का कोई इरादा नहीं है।
-वहीं, शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने पालघर के बाद पैदा हुई स्थितियों को लेकर कहा,"माननीय उद्धव जी ने पहले ही घोषण की है कि 2019 में हम बीजेपी के साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे। हम उसी हिसाब से तैयारियों में जुटे हुए हैं। पूरे महाराष्ट्र में हम पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत हुए हैं। हमें किसी की जरुरत नहीं है।''
कर्नाटक-
लोकसभा चुनाव | 2014 में सीटें | 2019 में कांग्रेस-जेडीएस साथ लड़े तो |
भाजपा | 17 | 15 |
कांग्रेस | 9 | 13 |
जेडीएस | 2 |
- अगर भाजपा को 2014 लोकसभा चुनाव जितने ही वोट मिलें और विपक्षी दलों को मिले वोट विपक्ष के साझा प्रत्याशी को ट्रांसफर हो जाएं तो भी कर्नाटक में भाजपा को दो सीटों का नुकसान होगा।
- मैसूर और दावनगेरे ही वो दो सीटें है जहां 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस के कुल वोट भाजपा के जीते हुए प्रत्याशी से ज्यादा थे।
- मैसूर में 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रताप सिम्हा को 503,908 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के एच विश्वनाथ को 472,300 वोट मिले थे। वहीं जेडीएस को 138,587 वोट मिले थे। इस तरह कांग्रेस और जेडीएस को मिले वोट का आंकड़ा भाजपा को मिले वोट से 1,06,979 ज्यादा हो जाता है।
कांग्रेस ने किया गठबंधन का ऐलान
- कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने बताया कि हाल ही में हुई एक बैठक में दोनों पार्टियों के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि जेडीएस व कांग्रेस मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी।
Comment Now