नई दिल्ली। एशियाई बाजारों में चल रही तेजी से भारतीय बाजारों को भी उम्मीद है। वहीं इस हफ्ते शेयर बाजार की चाल कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगी, जिसमें आरबीआई की मौद्रिक नीति अहम है। वहीं अंतरराष्ट्रीय कारोबारी परिदृश्य और वृहद आर्थिक आंकड़े मिलकर बाजार की दिशा तय करेंगे। बीते हफ्ते बीएसई का सेंसेक्स 302.39 अंक की बढ़त लेने में सफल रहा था।
एशियाई बाजारों का हाल
आज सभी एशियाई बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं। जापान का निक्केई 1.31 फीसद की तेजी के साथ 22461 पर, चीन का शांघाई 0.34 फीसद की तेजी के साथ 3085 पर एवं हैंगसेंग 1.16 फीसद की तेजी के साथ 30844 और ताइवान का कोस्पी 0.51 फीसद की तेजी के साथ 2451 पर कारोबार कर रहा है।
वहीं अगर अमेरिकी बाजारों की बात करें तो डाओ जोंस और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स दोनों ही हरे निशान के साथ कारोबार कर बंद हुए हैं। डाओ जोंस 0.90 फीसद की तेजी के साथ 24635 पर और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 1.08 फीसद की तेजी के साथ 2734 पर कारोबार कर बंद हुआ है। वहीं नैस्डेक भी 1.51 फीसद की तेजी के साथ 7554 पर कारोबार कर बंद हुआ है।
एक्सपर्ट का नजरिया
कोटक सिक्योरिटीज की टीना विरमानी ने कहा, "वैश्विक स्तर पर बाजार का ध्यान बॉन्ड यील्ड, कच्चे तेल की कीमत और ट्रेड वार की स्थिति पर रहेगा। घरेलू मोर्चे पर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर निवेशकों की निगाह रहेगी। पेट्रोलियम की ऊंची कीमतों का असर मौद्रिक नीति पर दिख सकता है। हालांकि मौसम के मोर्चे पर राहत की खबर है। मौसम विभाग ने मानसून सामान्य रहने का अनुमान जताया है। इसका भी आगे चलकर असर देखने को मिलेगा।"
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय संघ के सहयोगी देशों, कनाडा और मैक्सिको से आयातित एल्यूमिनियम व इस्पात पर आयात शुल्क लगाने के फैसले से निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। इस बात की आशंका गहरी हुई है कि अमेरिकी फैसले के खिलाफ अन्य देश शुल्क बढ़ाने का जवाबी कदम उठा सकते हैं।
रेपो रेट में हो सकता है बदलाव
घरेलू मोर्चे पर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति का बाजार को इंतजार रहेगा। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक बैठक चार से छह जून तक होनी है। अगस्त, 2017 के बाद से रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इस बार पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों के चलते रेपो रेट में बदलाव हो सकता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजार से मई में 29,714 करोड़ रुपए की निकासी की है। पिछले 18 महीने में यह सर्वाधिक निकासी है। विदेशी निवेशकों ने इक्विटी मार्केट से 10,060 करोड़ रुपए और डेट मार्केट से 19,654 करोड़ रुपए निकाले हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण निवेशकों ने निकासी का रुख किया है। अप्रैल में एफपीआई ने पूंजी बाजार से कुल 15,461 करोड़ रुपए निकाले थे। वहीं, मार्च में 2,662 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
शीर्ष 10 में छह कंपनियों का एम-कैप बढ़ा
पिछले हफ्ते देश की शीर्ष 10 कंपनियों में से छह के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में 50,248.15 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई। सबसे ज्यादा फायदा एचडीएफसी बैंक को हुआ। एचडीएफसी बैंक का एम-कैप 26,758.47 करोड़ रुपए से बढ़कर 5,49,179.08 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
मारुति सुजुकी का बाजार मूल्यांकन 7,410.02 करोड़ रुपए बढ़कर 2,65,593.32 करोड़ रुपए रहा। समीक्षाधीन सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनीलिवर, एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा के बाजार पूंजीकरण में भी वृद्धि हुई। दूसरी ओर, टीसीएस के बाजार मूल्यांकन में 23,919.02 करोड़ रुपये की गिरावट आई। कंपनी का एम-कैप 6,63,204.94 करोड़ रुपए रहा। आईटीसी, इन्फोसिस और एसबीआई के बाजार पूंजीकरण में भी गिरावट आई है।
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