Saturday, 24th May 2025

सिंगापुर: 4 दिन में दूसरी बार मस्जिद देखने पहुंचे मोदी, नेवल बेस पर सैनिकों से की मुलाकात

Sat, Jun 2, 2018 7:23 PM

  • मोदी ने शुक्रवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री से मिलने शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लिया था
  • मोदी आज ही आसियान देशों का दौरा पूरा कर भारत लौटेंगे

 

सिंगापुर. अपने पांच दिवसीय आसियान देशों के दौरे के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर के चांगी नेवल बेस पहुंचे। यहां उन्होंने भारत और सिंगापुर के नौसेना अधिकारियों से मुलाकात की। साथ ही यहां तैनात आईएनएस सतपुड़ा को भी देखा। इस मौके पर उनके साथ सिंगापुर के रक्षा राज्यमंत्री मोहम्मद मलिकि ओस्मान मौजूद थे। इससे पहले मोदी ने भारतीय संस्कृति के लिए प्रसिद्ध लिटिल इंडिया का भी दौरा किया। यहां मौजूद लोगों ने उनका भव्य तरीके से स्वागत किया। मोदी ने यहा रुपे कार्ड का इस्तेमाल कर के एक मधुबनी पेंटिंग भी खरीदी। इसके अलावा शनिवार को मोदी ने सिंगापुर की सबसे पुरानी चिलुया मस्जिद में भी समय बिताया। चाइना टाउन में स्थित ये मस्जिद 1974 से सिंगापुर का राष्ट्रीय स्मारक है। इस मौके पर उनके साथ सांस्कृतिक मंत्री ग्रेस यीन भी मौजूद थीं।

127 साल पुराने हिंदू मंदिर और बौद्ध मंदिर देखने पहुंचे पीएम

- मोदी ने सिंगापुर स्थित मरिअम्मन मंदिर के भी दर्शन किए। 1827 में द्रविडियन शैली में बना ये मंदिर सिंगापुर का सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर है।

- इसके बाद पीएम यहां के प्रसिद्ध बुद्ध टूथ रेलिक टेंपल भी पहुंचे। मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान बुद्ध के दांत का एक बचा हुआ अंश रखा गया है। इस अंश को भारत के उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर से यहां लाया गया था।

मोदी के नाम पर रखा गया फूल का नाम
- मोदी ने आज बोटेनिकल गार्डन में बने आॅर्किड गार्डन का भी दौरा किया। इस गार्डन को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है। मोदी के दौरे की याद के तौर पर गार्डन के एक फूल का नाम डेंडोब्रियम नरेंद्र मोदी रखा गया है।

महात्मा गांधी की याद में बनी तख्ती का अनावरण किया
- मोदी ने आज ही क्लिफोर्ड पायर में महात्मा गांधी की याद में बनी तख्ती का अनावरण भी किया। ये उन चुनिंदा जगहों में शामिल है, जहां बापू की अस्थियां विसर्जित की गई थीं। 70 साल पहले 1948 में गांधीजी की अस्थियों को भारत के साथ कई देशों में भेजा गया था। सिंगापुर में इन्हें क्लिफोर्ड पायर स्थित बीच पर बहाया गया था। 
- इससे पहले शनिवार को ही उन्होंने सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक तोंग से भी मुलाकात की। दोनों के बीच आपसी संबंधों को लेकर लंबी चर्चा हुई। बता दें कि गोह सिंगापुर के निर्माता ली कुआन के बाद 1990 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। 2004 में सत्ता छोड़ने के बाद वे अभी सरकार में वरिष्ठ मंत्री और सेंट्रल बैंक के वरिष्ठ सलाहकार पद पर हैं।

मोदी ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से की मुलाकात
- मोदी ने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भी मुलाकात की। मैटिस शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने सिंगापुर पहुंचे हैं। 
- हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी प्रशांत कमांड का नाम बदल कर हिंद-प्रशांत कमांड किया था। माना जाता है कि अमेरिका ने ऐसा क्षेत्र में भारत की अहमियत को देखते हुए किया। मैटिस भी भारत के समर्थक माने जाते हैं।


पहले दिन राष्ट्रपति के साथ आठ करार पर हुए थे हस्ताक्षर
- मोदी शुक्रवार को ही सिंगापुर पहुंचे थे। यहां उनका प्रेसिडेंशियल पैलेस में स्वागत किया गया। मोदी ने सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब और प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत और सिंगापुर के बीच आठ करार हुए।

17 सालों में 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली
- मोदी नान्यांग यूनिवर्सिटी में छात्रों से भी रूबरू हुए। यहां उन्होंने कई लोगों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में पॉलिटिकल प्रेशर ग्रुप की एक दुनिया होती है, उसे झेलना मुश्किल होता है। पहले प्रेशर ज्यादा था। यहां अस्पताल बनाओ, यहां स्कूल बनाओ। मैंने स्पेस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर मैप तैयार किए। फिर कोई भी नेता आता था तो उन्हें बताता, देखो तुम्हारे यहां है, नया नहीं बनेगा। 
- पीएम या सीएम बनने से उनके जीवन में कितना बदलाव आया। इस सवाल पर मोदी ने कहा- “मैं कभी खुद को पहले से अलग महसूस नहीं करता हूं। जब सैनिक सीमा पर लड़ते हैं, हमारी मांएं संघर्ष कर रही होती हैं तो लगता है कि मुझे भी आराम नहीं करना चाहिए। मैंने 2001 के बाद से अब तक कभी 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली है।”

सिंगापुर को बताया आसियान का स्प्रिंगबोर्ड
- इसके बाद मोदी शांगरी-ला डायलॉग में भी शामिल हुए। वे इसमें स्पीच देने वाले पहले भारतीय पीएम बने। इसमें 40 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि एशिया और दुनिया का अच्छा भविष्य होगा, यदि भारत और चीन भरोसे और आत्मविश्वास के साथ मिलकर काम करें। हमने आपसी मुद्दों को निपटाने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए परिपक्वता दिखाई है। एशिया की प्रतिद्वंद्विता क्षेत्र को पीछे धकेलेगी, सहयोग इसे सही आकार देगा। 
- मोदी ने कहा, “यह समिट आसियान और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। हजारों साल से भारतीय पूर्व की तरफ बढ़े, यह सिर्फ उगते सूरज को देखने के लिए नहीं, बल्कि यह प्रार्थना करने के लिए कि इसकी रोशनी हमेशा दुनिया पर रहे। सिंगापुर हमारे लिए आसियान का स्प्रिंगबोर्ड है।”

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