नई दिल्ली. 9 राज्यों के 61 जिलों से होकर गुजरने वाले 2843 किमी लंबे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी वेस्टर्न) पर इस साल 15 अगस्त से ट्रेनें दौड़ेंगी। रेल मंत्रालय ने इसकी डेडलाइन तय कर दी है। ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर का काम 15 चरण में किया जा रहा है। पहले चरण में अटेली (रेवाड़ी, हरियाणा) से फुलेरा (जयपुर, राजस्थान) के बीच ट्रेन चलेगी। फ्रेट कॉरिडोर का पूरा काम 21 मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
क्यों बनाए जा रहे हैं वेस्टर्न और ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर?
मौजूदा समय में माल और सवारी रेलगाड़ियां एक ही ट्रैक से गुजरती हैं। इस वजह से कई ट्रैक पर क्षमता से 50 से 60 फीसदी तक अधिक ट्रेनें दौड़ रही हैं। सवारी ट्रेनों में देरी भी होती है। इस वजह से वेस्टर्न और ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।
पूरा प्रोजेक्ट 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा का
वेस्टर्न कॉरिडोर हरियाणा से महाराष्ट्र (अटेली से जवाहर लाल नेहरू पोर्ट) और ईस्टर्न कॉरिडोर खुर्जा से पिखानी (यूपी) तक बनाया जा रहा है। परियोजना के लिए 2006 में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का गठन किया गया था। दोनों परियोजना बनने के बाद माल ढुलाई और फ्रेट परिवहन में दोबारा से हिस्सेदारी पाने में मदद मिलेगी। यह पूरा प्रोजेक्ट 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा का है।
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