नई दिल्ली। अब तक हुए 20 विश्व कप में भाग लेने वाले ब्राजील ने पांच बार खिताब जीता है। वह 14 जून से रूस में शुरू होने वाले फुटबॉल महाकुंभ का दावेदार भी है। इस दौरान उसे कई सुपरस्टार मिले जिन्होंने विश्व खेल पटल पर देश का नाम रोशन किया लेकिन हम आपको पांच ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बताते हैं जिनका जन्म तो ब्राजील में हुआ लेकिन उन्हें उनकी राष्ट्रीय टीम में पहचान नहीं मिली जिसके कारण वे किसी दूसरे देश की ओर से खेलते नजर आए। ये वे खिलाड़ी हैं जिनका दबदबा दक्षिण अमेरिकी देश की जगह यूरोप में देखने को मिला। पेपे और डिएगो कोस्टा क्रमश: पुर्तगाल और स्पेन की टीम में हैं जबकि डेको, ककाओ और थिएगो संन्यास ले चुके हैं।
डिएगो कोस्टा (ब्राजील से स्पेन)
जन्म से डिएगो कोस्टा ब्राजील के निवासी हैं और उन्हें ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में शामिल भी किया गया लेकिन उन्हें अपनी देश की टीम के लिए मैदान पर उतरने का कभी मौका नहीं मिला। ब्राजील की ओर से नहीं खेलने की वजह से वह किसी दूसरे देश की ओर से खेल सकते थे जिसके बाद उन्होंने स्पेन का रुख किया। पासपोर्ट मिलने के बाद कोस्टा स्पेन की ओर से खेलने के लिए तैयार थे। स्पेन के हाथों कोस्टा को खोना ब्राजील के लिए बड़ा नुकसान था क्योंकि बतौर स्ट्राइकर उनकी क्षमताओं पर किसी को शक नहीं था और जिसे ब्राजील खो चुका था। डिएगो के पिता ने उनका नाम अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर डिएगो माराडोना के नाम से प्रभावित होकर रखा था। एटलेटिको मैड्रिड और चेल्सी जैसे क्लबों की शोभा बढ़ाने वाले कोस्टा स्पेन के लिए 18 मुकाबले खेल चुके हैं। मैदान पर कोस्टा अपने उग्र रवैये के लिए जाने जाते हैं।
डेको (ब्राजील से पुर्तगाल)
बार्सिलोना के पूर्व खिलाड़ी डेको का जन्म ब्राजील में हुआ था लेकिन उन्हें अपनी राष्ट्रीय टीम की ओर से कभी खेलने को नहीं मिला। पुर्तगाल में छह साल गुजारने के बाद उन्होंने वहां की नागरिकता हासिल कर ली। यह इत्तेफाक ही था कि मिडफील्डर डेको को जब पुर्तगाल की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया तो वह ब्राजील के खिलाफ ही पहला मुकाबला खेलने उतरे। स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप में उतरे डेको ने पुर्तगाल के लिए निर्णायक गोल दागा।
पेपे (ब्राजील से पुर्तगाल)
डेको की तरह सेंटर बैक पेपे का जन्म भी ब्राजील में हुआ और उन्होंने भी पुर्तगाल की नागरिकता हासिल की। पुर्तगाल की ओर से खेलने से पहले उन्हें कभी ब्राजील की राष्ट्रीय टीम से बुलावा नहीं आया। यहां तक कि जूनियर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद यूथ टीम में भी उन्हें किसी ने नहीं पूछा। 2007 से 2017 तक रीयल मैड्रिड की ओर से खेलने वाले पेपे से उनके भविष्य पर फैसला लेने के ब्राजील के तत्कालीन कोच डुंगा ने वर्ष 2006 में संपर्क किया लेकिन पेपे ने उनके प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया क्योंकि वह पुर्तगाल की सीनियर टीम से जुड़ने के बारे में अपना मन बना चुके थे। 2007 में पुर्तगाल की नागरिकता मिलने के बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम से बुलावा आया 91 मुकाबले अब तक पुर्तगाल की ओर से खेल चुके हैं पेपे 2016 के यूरो कप के फाइनल में पेपे मैन ऑफ द मैच रहे। पुर्तगाल ने फाइनल में फ्रांस के खिलाफ 1-0 से जीत हासिल की थी।
थिएगो मोता (ब्राजील से इटली)
थिएगो मोता भी एक ऐसे ब्राजीलियन हैं जिन्हें राष्ट्रीय टीम में अपनी पहचान बनाने के लिए देश बदलना पड़ा। 2003 के कोनकेकेफ गोल्ड कप में ब्राजील की ओर से खेलने वाले मोता को 2011 में इटली की राष्ट्रीय टीम से बुलावा आया और उसके दो दिन बाद उन्हें खेलने की इजाजत मिली। उन्होंने जर्मनी के खिलाफ एक दोस्ताना मुकाबले में पदार्पण किया। उन्होंने 2012 और 2016 के यूरो कप के अलावा फीफा विश्व कप 2014 में इटली का प्रतिनिधित्व किया। एक मिडफील्डर के रूप में खेलने वाले मोता क्लब स्तर पर भी काफी सफल खिलाड़ी रहे।
ककाओ (ब्राजील से जर्मनी)
क्लाउदेमीर जेरोनिमो बारेतो उर्फ ककाओ का जन्म ब्राजील के साओ पोलो में हुआ था। युवा अवस्था में उन्होंने ब्राजील में अपना समय गुजारा लेकिन उन्हें ब्राजील की यूथ टीम से कभी बुलावा नहीं आया। ककाओ ने नम्बर्ग के साथ खेलते हुए उम्दा प्रदर्शन किया जिसने बुंडिशलीगा के दिग्गज क्लब स्टटगर्ट को प्रभावित किया और उन्होंने ककाओ को 2003 में अपने साथ जोड़ा। 2009 में जर्मनी का पासपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने वहां की राष्ट्रीय टीम से खेलने की पात्रता हासिल की। ककाओ 2010 के विश्व कप में जर्मन टीम का हिस्सा रहे।
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