लंदन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे हजारों भारतीय प्रवासियों की घर वापसी से जुड़े करार पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन द्वारा भारतीयों को आसानी से वीजा न दिए जाने के कारण पीएम मोदी ने यह फैसला लिया है।
लंदन में भारतीय दूतावास के सूत्रों ने बताया कि इसी जनवरी 2018 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने इस द्विपक्षीय समझौते की शुरुआत की थी। मगर, भारत को ब्रिटेन की तरफ इस समझौते को लेकर कोई प्रगति नहीं दिखी। लिहाजा, जब अप्रैल में पीएम मोदी लंदन गए, तो उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए।
माना जा रहा था कि मोदी की यात्रा के दौरान एक मुख्य द्विपक्षीय समझौता होगा। दरअसल, ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे जब नवंबर 2017 में भारत आई थीं, तो उन्होंने पीएम मोदी से कहा था कि अगर उन भारतीयों की वापसी में तेजी आती है, जिन्हें यूके में रहने का हक नहीं है, तो यूके वीजा देने की प्रक्रिया को लेकर सुधार करेगा।
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एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एस एमओयू की पहल इमिग्रेशन मिनिस्टर कैरोलीन नोक्स और रिजिजू ने 11 जनवरी को पहल की थी। इसका मकसद यूके में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की जल्द से जल्द स्वदेश वापसी करना था।
भारतीय दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूके स्पाउज वीजा देने से इंकार कर रहा है। छोटे समय के लिए वीजा नहीं दिए जा रहे हैं। हमें एक शत्रुतापूर्ण वातावरण देखने को मिल रहा है। हमें माइग्रेशन में आसानी चाहिए। खासकर भारतीय स्टूडेंट और यहां कंपनियों में काम करने के लिए आने वालों के लिए छोटे समयावधि के वीजा देने में तेजी लानी चाहिए।
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